Hindi, asked by Dushyant11, 1 year ago

सत्संगति पर निबंध। (150-200 words)

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Answered by sawakkincsem
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एक सकारात्मक व्यक्ति बनने के लिए आपको अच्छे लोगों के साथ घेर चाहिए। जो लोग खुद के लिए मुश्किल काम है, और बदले में, आप के लिए सबसे अच्छा चाहते हैं। लोगों को आप से सीखते हैं और साथ विकसित कर सकते हैं। दयालु लोग हैं, जो उनके आसपास के लोगों के जीवन को समृद्ध।हम मदद लेकिन हम उन लोगों के लिए निकटतम रहे हैं का प्रतिबिंब नहीं हो सकता। सकारात्मक और नकारात्मक दोनों - हम अपने मूल्यों, कार्यों, और विचारों से प्रभावित हो जाते हैं। तो अगर वे गुस्से में सनकी, या असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, हम उन तत्वों के रूप में अच्छी तरह से विकसित करना। अक्सर, ऐसा होता है बिना हमें भी यह एहसास।

जितना यह दर्द मुझे यह कहने के लिए, कभी कभी हम उन्हें जाने के लिए है। हम नफरत नहीं होना चाहिए या क्रोध उन्हें, यह केवल आत्मरक्षा की बात है। यह स्वस्थ रिश्ते चाहते करने के लिए स्वार्थी नहीं है। हम सभी साहचर्य की तलाश है और सार्थक कनेक्शन है कि हमारे दिन एक छोटे से उज्जवल बनाने के निर्माण के लिए प्रयास करना चाहिए।
अंत में, आप केवल एक है जो अपनी खुशी के लिए जिम्मेदार है रहे हैं। यह आसान अपने आप पर: स्वीकार करते हैं कि कुछ लोगों के दिल में सबसे अच्छा इरादों की जरूरत नहीं है और आप हमेशा उन्हें बचाने के लिए नहीं कर सकते। रिश्तों कि आशावाद और आपसी विकास को बढ़ावा पोषण। यह आप एक प्रबुद्ध के लिए रास्ता है।
Answered by Pragati0605
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Answer:

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Explanation:

भूमिका

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। समाज में रहते हुए वह अच्छे - बुरे सभी प्रकार के लोगों के संपर्क में आता हैं। इस प्रकार सारे मनुष्य गुण व दोषों से भरे पड़े हैं। मनुष्य पर गुण व दोषो का प्रभाव  संगति से पड़ता है। सज्जनों की संगति में गुण व दुर्जनों की संगति में दोष ही दोष मिलते हैं। संगति का सभी जीवों पर परस्पर प्रभाव पड़ता है। हवा भी गर्मी में ठंड की संगति पाकर वैसे ही बन जाती है। मानव समाज में लोगों की संगति को सत्संगति कहते हैं।

सज्जन के लक्षण

सभी विद्वान व ग्रंथ सज्जनों की संगति करने को कहते हैं। इसलिए हमें जानना चाहिए कि सज्जनों की क्या पहचान है अर्थात् सज्जन और दुर्जन में क्या अंतर है। सज्जन लोग ज्ञान का भंडार होते हैं। वे सदैव दूसरे के हित में लगे रहते हैं। अपने जीवन को उन्नत बनाने के लिए सदैव परिश्रम पूर्वक सद्कार्यों में जुटे रहते हैं। वे स्वयं सत्य बोलते हैं और अपने निकट आने वाले में भी सत्य का संचार करते हैं। सज्जन लोगों का ह्रदय अत्यंत कोमल होता है। वे दया की मूर्ति होते हैं। वे दूसरों के दुःख में दुःखी व दूसरों के सुख में सुखी होते हैं। वे दूसरों की सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इसके विपरीत दुर्जन लोगों को दूसरों का अहित करने में आनंद आता है। वे दूसरों के दुःख को देख कर खुश होते हैं। ईष्र्या जलन, क्रोध, छल, कपट उनके प्रमुख गुण होते हैं।______________________________________________________________________

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