सत्ता किसे कहते हैं
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साधारण रूप में सत्ता वह आचरण है जिसके आधार पर कोई भी अपनी शक्ति का प्रयोग करता है। सत्ता एक विशेष प्रकार का औचित्यपूर्ण प्रभाव भी है। सत्ता शक्ति का संस्थात्मक एवं विधिक रूप है। यह उस समय उत्पन्न होती है जब शासक और शासित में सम्बन्ध स्थापित होता है। हेराल्ड लॉसवेल ने इसे प्रभाव सदृश माना है। साधारण अर्थ में सत्ता निर्णय लेने की वह शक्ति है जो दूसरों के कार्यों को प्रभावित करती है। हरबर्ट साईमन ने इसे निर्णय लेने की शक्ति ही कहा है। यूनेस्को की 1955 की रिपोर्ट के अनुसार-”सत्ता वह शक्ति है जो कि स्वीकृत, सम्मानित, ज्ञात एवं औचित्यपूर्ण होती है।” इसे अनेक विद्वानों ने निम्न प्रकार से परिभाषित भी किया है :-
बायर्सटेड के अनुसार-”सत्ता शक्ति के प्रयोग का संस्थात्मक अधिकार है, स्वयं शक्ति नहीं।”
बीच के अनुसार-”दूसरे के कार्यों को प्रभावित एवं निर्देशित करने के औचित्यपूर्ण अधिकार को सत्ता कहते हैं।”
रोवे के अनुसार-”सत्ता व्यक्ति या व्यक्ति समूह के राजनीतिक निश्चयों के निर्माण तथा राजनीतिक व्यवहारों को प्रभावित करने का अधिकार है।”
बनार्ड बारबर एवं एमितॉय इर्जियोनी के अनुसार-”सत्ता औचित्यपूर्ण शक्ति है।”
एस0ई0 फाइनर के अनुसार-”शक्ति पर सत्ता उन बाह्य प्रभावों के समस्त परिवेश की द्योतक है, जो व्यक्ति को अपने प्रभाव से अपेक्षित दिशा में आगे बढ़ने पर बाध्य कर सकती है।”
ई0एम0 कोल्टर के अनुसार-”सत्ता वह क्षमता है जिससे कोई घटना हो सकती है जो उस क्षमता के बिना नहीं होती।”
जे0 फ्रेडरिक के अनुसार-”जिसे केवल संकल्प इच्छा या प्राथमिकता के आधार पर चाहा जाता है, उसके औचित्य को तार्किक प्रक्रिया के द्वारा सिद्ध करने की क्षमता को सत्ता कहा जाता है।”
इस प्रकार कहा जा सकता है कि सत्ता राज्य के शासकों द्वारा संचालिक राज्य की शक्ति है जो औचित्यतापूर्णता पर आधारि
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सत्ता का अर्थ
साधारण रूप में सत्ता वह आचरण है जिसके आधार पर कोई भी अपनी शक्ति का प्रयोग करता है। सत्ता एक विशेष प्रकार का औचित्यपूर्ण प्रभाव भी है। सत्ता शक्ति का संस्थात्मक एवं विधिक रूप है। यह उस समय उत्पन्न होती है जब शासक और शासित में सम्बन्ध स्थापित होता है। हेराल्ड लॉसवेल ने इसे प्रभाव सदृश माना है। साधारण अर्थ में सत्ता निर्णय लेने की वह शक्ति है जो दूसरों के कार्यों को प्रभावित करती है। हरबर्ट साईमन ने इसे निर्णय लेने की शक्ति ही कहा है। यूनेस्को की 1955 की रिपोर्ट के अनुसार-”सत्ता वह शक्ति है जो कि स्वीकृत, सम्मानित, ज्ञात एवं औचित्यपूर्ण होती है।” इसे अनेक विद्वानों ने निम्न प्रकार से परिभाषित भी किया है :-
बायर्सटेड के अनुसार-”सत्ता शक्ति के प्रयोग का संस्थात्मक अधिकार है, स्वयं शक्ति नहीं।”
बीच के अनुसार-”दूसरे के कार्यों को प्रभावित एवं निर्देशित करने के औचित्यपूर्ण अधिकार को सत्ता कहते हैं।”
रोवे के अनुसार-”सत्ता व्यक्ति या व्यक्ति समूह के राजनीतिक निश्चयों के निर्माण तथा राजनीतिक व्यवहारों को प्रभावित करने का अधिकार है।”
बनार्ड बारबर एवं एमितॉय इर्जियोनी के अनुसार-”सत्ता औचित्यपूर्ण शक्ति है।”
एस0ई0 फाइनर के अनुसार-”शक्ति पर सत्ता उन बाह्य प्रभावों के समस्त परिवेश की द्योतक है, जो व्यक्ति को अपने प्रभाव से अपेक्षित दिशा में आगे बढ़ने पर बाध्य कर सकती है।”
ई0एम0 कोल्टर के अनुसार-”सत्ता वह क्षमता है जिससे कोई घटना हो सकती है जो उस क्षमता के बिना नहीं होती।”
जे0 फ्रेडरिक के अनुसार-”जिसे केवल संकल्प इच्छा या प्राथमिकता के आधार पर चाहा जाता है, उसके औचित्य को तार्किक प्रक्रिया के द्वारा सिद्ध करने की क्षमता को सत्ता कहा जाता है।”
इस प्रकार कहा जा सकता है कि सत्ता राज्य के शासकों द्वारा संचालिक राज्य की शक्ति है जो औचित्यतापूर्णता पर आधारित है।
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