सत्ता साझकरण एक लोकतांत्रिक सरकार का सार है कथन की जांच करें।
Answers
Explanation:
सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये।
★भारत में सत्ता की साझेदारी
⇋हमारे देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। इसलिए भारत के नागरिक प्रत्यक्ष मताधिकार का प्रयोग करके अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। उसके बाद चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा एक सरकार का चुनाव किया जाता है। फिर चुनी हुई सरकार अपने विभिन्न कर्तव्यों का पालन करती है, जैसे रोजमर्रा का शासन चलाना, नये नियम बनाना, पुराने नियमों का संशोधन करना, आदि।
⇌लोकतंत्र में जनता ही हर तरह की राजनैतिक शक्ति का स्रोत होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं द्वारा अपने आप पर शासन करते हैं। ऐसी व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूहों और मतों को उचित सम्मान मिलता है। जन नीतियों का निर्माण करते समय हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा संभवत: अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो।
Answer:
सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये।
☆भारत में सत्ता की साझेदारी
★हमारे देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। इसलिए भारत के नागरिक प्रत्यक्ष मताधिकार का प्रयोग करके अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। उसके बाद चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा एक सरकार का चुनाव किया जाता है। फिर चुनी हुई सरकार अपने विभिन्न कर्तव्यों का पालन करती है, जैसे रोजमर्रा का शासन चलाना, नये नियम बनाना, पुराने नियमों का संशोधन करना, आदि।
★लोकतंत्र में जनता ही हर तरह की राजनैतिक शक्ति का स्रोत होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं द्वारा अपने आप पर शासन करते हैं। ऐसी व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूहों और मतों को उचित सम्मान मिलता है। जन नीतियों का निर्माण करते समय हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा संभवत: अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो।