Hindi, asked by ss6563990gmailcom, 7 months ago

सतों दखत जग बौराना।
साँच कहीं तो मारन धावें, झूठे जग पतियाना।
नमी देखा धरमी देखा, प्राप्त करें अमनाना।
आतम मारि पखानहि पूजें, उनमें कछु नहि जाना।
बहुतक देखा पीर औलिया पढे कितब कुराना।
के मुरीद तदबीर बतार्वे, उनमें उहै जो ज्ञाना।
आसन मारि डिभ धरि बैठे मन में बहुत गुमाना।
पीपर पाथर पूजन लागे, तीरथ गर्व भुलाना।
टोपी पहिरे माला पहिरे द्वाप तिलक अनुमाना।
साखी सब्दहि गावत भूले, आतम खबरि न जाना।
हिन्दू कहैं मोहि राम पियारा, तुर्क कह रहिमाना।
आपस में दोउ लरि नारि मग मम न काहू जाना।
घर घर मन्तर देत फिरत हैं. महिमा के अभिमाना।
गुरु के सहित सिख्य सब बूडे, अत काल पछिताना।
कहैं कबीर सुनो हो सती, ई सब भम भुलाना।
केतिक कहीं कहा तहि माने सहजै सहज समाना।
1.. कवि ने हिंदुओं के किन आडंबरों पर चोट की है तथा मुसलमानों के किन पाखंडों पर व्यंग्य किया है?
2 अज्ञानी गुरुओं व शिष्यों की क्या गति होगी?
3. कबीर दास की भाषा विशेष क्यों मानी जाती है?​

Answers

Answered by onuyadav17
1

Answer:

पाथर पूजन लागे, तीरथ गर्व भुलाना।

टोपी पहिरे माला पहिरे द्वाप तिलक अनुमाना।

साखी सब्दहि गावत भूले, आतम खबरि न जाना।

हिन्दू कहैं मोहि राम पियारा, तुर्क कह रहिमाना।

आपस में दोउ लरि नारि मग मम न काहू जाना।

घर घर मन्तर देत फिरत हैं. महिमा के अभिमाना।

गुरु के सहित सिख्य सब बूडे, अत काल पछिताना।

कहैं कबीर सुनो हो सती, ई सब भम

Explanation:

please mark me as brainliest

Answered by shauryakumar953
1

itna bara or kitna kam points me nahi hoga .....

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