सत्यं ब्रूयात् प्रियं
प्रियं च नानृतं
ब्रूयात्, मा ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।
ब्रूयात्,
एष धर्मः
सनातनः ।।
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इस प्रश्न में क्या करना है?
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इस श्लोक का अर्थ है कि-
सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये । प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥
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