सत्य क्या पुकारने से मिल सकता है? युधिष्टर विदुर को क्यों पुकार रहे हैं - महाभारत के प्रसंग से सत्य के अर्थ खोलें।
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विदुर (अर्थ कुशल, बुद्धिमान अथवा मनीषी) हिन्दू ग्रन्थ महाभारत के केन्द्रीय पात्रों में से एक व हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवो और पांडवो के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है।
सत्य पुकारने से मिल सकता है, बशर्ते हमारे सत्य की तलाश में किसी भी सीमा तक जाने की इच्छाशक्ति हो। सत्य हमेशा हमारी परीक्षा लेता है कि हम उसकी तलाश में कितनी दूर तक जा सकते हैं। जब हमारे अंदर एक ऐसा दृढ़ संकल्प पैदा हो जाता है कि हम सत्य की तलाश में कुछ भी कर सकते हैं तो सत्य पुकारने मात्र से हमें मिल सकता है। सत्य हमारे अंदर हमारे आसपास ही होता है, वह तो केवल हमारी परीक्षा लेने के लिए हमसे दूर जाने का भय दिखाता है।
अगर हमारे अंदर वास्तव में सत्य को समझने की इच्छा शक्ति है तो हम अवश्य सत्य के पीछे भागेंगे, उसका दूर-दूर तक तलाश करेंगे। ऐसी स्थिति में सत्य को पुकारेंगे तो सत्य हमें अवश्य मिलेगा। युधिष्ठिर भी विदुर को सत्य की तलाश में ही पुकार रहे हैं, क्योंकि विदुर सत्य के अनुयायी हैं और युधिष्ठिर भी उनसे सत्य के रहस्य जानना चाहते हैं। युधिष्ठिर सत्य की तलाश में है और उन्हें विश्वास है कि विदुर उन्हें सत्य का मार्ग दिखा सकते हैं।