सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृजया रक्ष्यते रूपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते।।5।।
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सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृजया रक्ष्यते रूपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते।।
भावार्थ ⦂ सत्य का पालन करने से ही धर्म की रक्षा होती है। निरंतर अभ्यास करने से ही विद्या की रक्षा होती है। स्वच्छता धारण करने से ही रूप-सौंदर्य की रक्षा होती है एवं कुल की रक्षा के लिए मनुष्य का चरित्र उज्जवल होना चाहिए, ऐसा विद्वानों का कथन है।
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ous.satyen Kim rakhyte
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