History, asked by chandankumar73151, 6 months ago

सत्य प्रेम
1-1-
hall
5

Q.13. संथालों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह क्यों किया? ​

Answers

Answered by sanjay7135271
0

Explanation:

यूरोप में 18वीं शताब्दी में उपनिवेशवाद के रूप में औद्योगिक क्रान्ति व पूँजीवाद का सूत्रपात हुआ, उसके बाद इंग्लैंड, अमेरिका, अफ्रीका और एशिया आदि महाद्वीपों तक अपने पैर फैलाना प्रारम्भ कर दिया। उपनिवेशवाद से महाद्वीपों में निवास करने वाले गरीब, मजदूर और आदिवासी गहरे अर्थों में प्रभावित हुए। भारत के आदिवासियों के जीवन का मुख्य आधार कृषि है। अँग्रेजी हुकूमत के आगमन पश्चात् भारतीय आदिवासी क्षेत्रों में ब्रिटिश उपनिवेशियों का प्रभुत्व हो जाने से आदिवासियों के समक्ष भूमि के स्वामित्व की एक जटिल समस्या उभर कर सामने आती है। जमींदारों द्वारा हड़प ली गयी जमीनों पर भूमि स्वामित्व का सवाल, दमन और शोषण, पुलिस प्रशासन का अमानवीय व्यवहार, विकास के नाम पर उनके संसाधनों पर सरकार और ठेकेदारों की षड्यन्त्रकारी नीतियाँ आज भी आदिवासियों के समक्ष जीवन संघर्ष के रुप में मौजूद हैं। मार्क्स ने उपनिवेशवाद का घोर विरोध दर्ज किया है, उन्नीसवी शताब्दी के अन्त तक आते-आते विभिन्न विद्वानों ने पूँजीवाद के सन्दर्भ में अनेक मत दिये हैं। लक्समबर्ग ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘पूँजी का संग्रह’ में पूँजीवाद की मूल समस्या ‘बाज़ार में प्रभावी माँग की कमी’ को माना है। वहीं हिलफर्डिंग उपनिवेशवाद को ‘पूँजीवाद का चरम बिन्दु मानते हैं।

भारतीय समाज में प्राचीनकाल से ही सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक शोषणकारी सत्तायें विद्यमान रहीं हैं। मसलन, पूँजीवाद एक सिद्धान्त के रुप में आने से पहले राजनैतिक और भौगोलिक स्वामित्व पर अपना नियन्त्रण स्थापित करने के अर्थ में देखा गया है। डॉ. अमरनाथ के हवाले से कहूँ तो पूँजीवाद व्यक्ति को एकाकी बनाता है। पूँजीवादी युग में विकसित व्यक्तिवाद के अन्तर्गत सामंती रूढ़ियों के प्रति विद्रोह की भावना मिलती है। पूँजीवादी समाज-व्यवस्था में पैसे की प्रभुता समस्त मानवीय सम्बन्धों को तोड़ कर रख देती है। अर्थात ‘अर्थ’ और ‘सत्ता’ की लोलुपता इंसान को अमानवीय बना देती है जिसके परिणाम स्वरुप ‘संथाल हूल’ जैसे क्रान्तिकारी विद्रोह एक आन्दोलन के रुप में उभरकर सामने आते हैं।

ok bye

Similar questions