सत्य पर कहानी for class 10
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7 मार्च, 1930 की बात है। नमक सत्याग्रह के माध्यम से राष्ट्रीय जागरण का आह्वान किया जा रहा था। सरदार वल्लभभाई पटेल गुजरात के एक नगर में पहुँचे। उन्होंने अपने कुछ परिचितों से संपर्क किया ।
उन लोगों ने उनसे कहा, ‘हम लोग धर्म-कर्म और अहिंसा में विश्वास रखते हैं। यदि इस आंदोलन में मार-धाड़ और हिंसा शुरू हो गई, तो व्यर्थ में हमारा व्यापार ठप्प पड़ जाएगा।’
सरदार पटेल ने उनसे कहा, ‘मैं कुछ समय बाद होने वाली सभा में आपकी शंका का समाधान करूँगा।’ सभा में पटेल ने कहा, ‘गुजरात में भगवान् श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
उन्होंने हमेशा अन्याय और शोषण को अधर्म मानकर उसके विरुद्ध सतत संघर्ष करने की प्रेरणा दी थी। उन्होंने कहा था कि अन्याय व अत्याचार सहना भी घोर अधर्म है ।
अंग्रेज हमारे साथ अन्याय कर रहे हैं। हमारी मातृभूमि को गुलाम बनाए हुए हैं। ऐसी स्थिति में भगवान् श्रीकृष्ण के प्रत्येक भक्त का दायित्व है कि वह विदेशी सत्ता को उखाड़ फेंकने में सक्रिय हो ।’
उन्होंने आगे कहा, ‘मातृभूमि के लिए संघर्ष ही असली धर्मयुद्ध होगा। अंग्रेजों की आसुरी शक्ति से संघर्ष करना हमारी पूजा-उपासना का अंग है। दूसरे राज्यों की तरह गुजराती भी इस धर्मयुद्ध में आगे रहेंगे। ‘
सरदार के ओजस्वी भाषण ने जादू का काम किया। सैकड़ों गुजराती नमक कानून तोड़ने घरों से निकल पड़े। अंग्रेजों ने वल्लभभाई पटेल को गिरफ्तार कर तीन माह के लिए जेल भेज दिया।
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पुराने जमाने की बात है किसी गाँव में दो दोस्त रहते थे उनके नाम नेकीराम और फेकूराम थे नेकीराम बहुत ही नम्र, सत्य और दयालु था जबकि फेकूराम बहुत ही मतलबी और झूठा था। एक दिन दोनों दोस्त पैसा कमाने शहर निकले।
उन लोगों ने बहुत मेहनत की और कम समय में उन्होंने बहुत पैसा कमाया। जैसे ही वो गाँव जाने के लिए निकले, फेकूराम के मन में एक विचार आया।
क्यों ना हम अपना धन इस पेड़ के खोखले में झुपा दें और जब हम दोनों सुबह लौटेंगे तो सारा धन अपने साथ ले जायेंगे। नेकीराम तैयार हो गए और दोनों अपना धन पेड़ के खोखले में छिपा कर गाँव की और निकल पड़े।