सत्य तीर्थयात्री कहानी का सारांश 2 पेज का
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व्याख्या-लाजवंती अपने पुत्र का बुखार उतरता न देख कर घबरा जाती है और देवी माँ के मंदिर में सिर झुकाकर देर तक रोती है। ... वह देवी माँ की अर्चना करती है और हृदय से यह प्रार्थना करती है कि अगर उसका पुत्र ठीक हो गया, तो वह तीर्थयात्रा करेगी। विशेष ईश्वर में आस्था को दर्शाया गया है।
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