Hindi, asked by skysweetwini8140, 10 months ago

सत्यक्रतव्य
कविता का भावार्थ

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Answered by singh2004shravani
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Answer:

हरे-हरे ये पात,

डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।

मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर

फेरूंगा निद्रित कलियों पर

जगा एक प्रत्यूष मनोहर।

ध्वनि कविता का भावार्थ (suryakant tripathi nirala poem dhwani in hindi): ध्वनि कविता की इन पंक्तियों में कवि निराला जी ने प्रकृति का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है। कवि कहते हैं कि चारों तरफ हरे-भरे पेड़ हैं और पौधों पर खिली कलियाँ मानो अब तक सो रही हैं। मैं सूरज को यहाँ खींच लाऊँगा और इन सोई कलियों को जगाऊँगा।

इन पंक्तियों में कवि ने हारे हुए और निराश लोगों को सोई हुई कलियाँ कहा है। जिस प्रकार सूरज के आ जाने से सभी पेड़-पौधों और कलियों में जान आ जाती है, ठीक उसी प्रकार निराला जी अपने प्रेरणा रूपी सूर्य से निराश लोगों के मन में उत्साह और उल्लास भरना चाहते हैं। इस तरह ध्वनि कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी जी जीवन से हार मान चुके लोगों को नया जीवन देना चाहते हैं।

पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं।

अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं।

ध्वनि कविता का भावार्थ (suryakant tripathi nirala poem dhwani in hindi): ध्वनि कविता की इन पंक्तियों में कवि वसंत रूपी उम्मीद बनकर, सोये-अलसाए फूलों रूपी उदास लोगों से आलस और उदासी बाहर निकाल लेने की बात कर रहे हैं। वो इन सभी लोगों को नया जीवन देना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने कहा है कि मैं हर पुष्प से आलस व उदासी खींचकर, उसमें नए जीवन का अमृत भर दूँगा।

द्वार दिखा दूंगा फिर उनको

हैं वे मेरे जहाँ अनंत

अभी न होगा मेरा अंत।

ध्वनि कविता का भावार्थ (suryakant tripathi nirala poem dhwani in hindi): ध्वनि कविता की इन पंक्तियों में कवि निराला जी कहते हैं कि मैं सोये हुए फूलों यानि निराश लोगों को जीवन जीने की कला सिखा दूँगा। फिर, वो कभी उदास नहीं होंगे और अपना जीवन सुख से व्यतीत कर पाएंगे।

कवि का मानना है कि अगर युवा पीढ़ी परिश्रम करेगी, तो उसे मनचाहा लक्ष्य मिलेगा और इस आनंद का कभी अंत नहीं होगा। इस प्रकार, कवि कहते हैं कि जब तक वो थके-हारे लोगों और युवा पीढ़ी को सही राह नहीं दिखा देंगे, तब तक उनका अंत होना असंभव है।

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