Hindi, asked by rudrashanker60, 5 months ago

सत्यमेव जयते अनुच्छेद​

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Answered by Anonymous
5

Answer:

सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पंथा विततो देवयानः।। येनाक्रमंतयषयो दृत्कामा यत्र सत्यस्य परमं निधानभ। अन्तः सत्य की ही जय होती है न की असत्य की यही वह मार्ग है जिससे होकर आप्तकाम (जिसकी कामनायें पूर्ण हो चुकी है )मानव जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करते है। इस मुण्डकोपनिषद से लिए गए श्लोक में जो सत्यमेव जयते आया है।

Answered by jackiemehra20
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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पंथा विततो देवयानः।। येनाक्रमंतयषयो दृत्कामा यत्र सत्यस्य परमं निधानभ। अन्तः सत्य की ही जय होती है न की असत्य की यही वह मार्ग है जिससे होकर आप्तकाम (जिसकी कामनायें पूर्ण हो चुकी है )मानव जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करते है। इस मुण्डकोपनिषद से लिए गए श्लोक में जो सत्यमेव जयते आया है।

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