सत्यमेव जयते न अनृतम्
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सत्यमेव जयते नानृतम।
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सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन पंथा विततो देवयानः। येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत् सत्यस्य परमम् निधानम्॥ अर्थात अंततः सत्य की ही जय होती है न कि असत्य की। यही वह मार्ग है जिससे होकर आप्तकाम (जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों) मानव जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।.
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