सत्यनिष्ठा पर आधारित कहानी
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एक बार की बात है एक लकड़हारा लकड़ी काटकर वापस आ रहा था रास्ते में उसे प्यास लगी मैं पानी पीने के लिए नदी पर गया और उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई उसने अपनी कुल्हाड़ी को नदी में खोजने की बहुत कोशिश की परंतु उसकी कुल्हाड़ी ना मिली फिर फिर वह निराश हो गया और वहां से जाने लगा तभी नदी की देवी उसके सामने प्रकट हुई और उनके हाथों में एक सोने की कुल्हाड़ी थी सोने की कुल्हाड़ी को दिखाते हुए उन्होंने कहा क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है लकड़हारे ने कहा नहीं है मेरी नहीं है मेरी कुल्हाड़ी लोहे की बनी थी यह सुनकर नदी की देवी वापस नदी में गई और इस बार में चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वापस आए यह देख कर उसने कहा कि नहीं यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है यह देख कर नदी की देवी बहुत प्रसन्न हुई अंततः लोहे की कुल्हाड़ी लेकर नदी की देवी वापस आई यह देखकर लकड़हारा बहुत प्रसन्न हुआ