'सत्यवादी हरिश्चंद्र' नाटक देखने के बाद गाँधी जी क्या सोचा करते थे।
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सत्यवादी हरिश्चंद्र का नाटक देखकर गाँधी जी ने सत्य व अहिंसा का मार्ग अपनाया था। गाँधी जी ने कहा था कि साधारणतः पाठशाला की पुस्तकों छोड़कर और कुछ पढ़ने का मुझे शौक नहीं था। सबक याद करना चाहिए, उलाहना सहा नहीं जाता, शिक्षक को धोखा देना ठीक नहीं, इसलिए मैं पाठ याद करता था।
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गांधी जी को लगता था कि सब हरिश्चंद्र की तरह सत्यवादी क्यों नहीं हो जाते
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