सत्यवादीता पर अपने विचार लिखो स्वमत अभिव्यक्ति
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जीवन को संस्कृति के अनुसार ढालने के लिए मानव समुदाय को कुछ मूल्यों को अपनाना होता हैं. जिनमें सत्य, ईमानदारी जैसे गुण मूल में होते हैं. हमेशा सत्य वचन कहने वाले को सत्यवादी कहा जाता हैं. भारत में राजा हरिश्चन्द्र को हर कोई जानता हैं जो अपनी सत्यवादिता के कारण अमर हो गया.
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सत्यवादी हमेशा से मारा गया, ये परम्परा आज की नहीं हजारों सालों से चली आ रही हैं. ग्रीस के महान दार्शनिक को इसलिए जहर का कटोरा पिलाया गया, क्योंकि वह सदा सत्य बोलता था. सत्य की प्रकृति अमूमन कड़वी ही होती हैं. मजबूरी की बजाय कोई भी इंसान उस कड़वे घूंट को नहीं पीना चाहता हैं. ईसा को भी समाज ने इसी बीमारी के चलते चूली पर चढ़ा दिया था.
सबसे सभ्य माने जाने वाले अमेरिकी समाज में आज भी श्वेत अश्वेत का भेद तथा जातीय दुर्व्यवहार चरम पर हैं, डॉ किंग अपने अहिंसक आंदोलन के जरिये गोरे अमेरिकन का ह्रदय परिवर्तन होने की आस में थे. उनका आंदोलन अश्वेतों को बराबर सामाजिक प्रतिष्ठा देने को लेकर चलना मगर उनकी निर्भीक सत्यता उनकी मौत का कारण बनी. सांप्रदायिक सद्भावना का संदेश देने वाले गांधी स्वयं गोली का शिकार हुए थे.
आज भी सदियों पुराना सवाल हमारे सामने फिर से हाजिर हैं क्या सत्यवादी लोग इसी तरह मारे जाएगे. क्यों नहीं दुनियां सभी को बराबर हक देने की बात स्वीकार कर लेती. यदि यह ही माजरा रहा तो लोग सच बोलने से दूरी बना लेगे. अपने हित के मुताबिक़ झूठ बोलकर काम बनने लगे तो ये सुंदर संसार झूठे, मक्कारों और लालची लोगों का अड्डा बनकर रह जाएगा.
जीवन को संस्कृति के अनुसार ढालने के लिए मानव समुदाय को कुछ मूल्यों को अपनाना होता हैं. जिनमें सत्य, ईमानदारी जैसे गुण मूल में होते हैं. हमेशा सत्य वचन कहने वाले को सत्यवादी कहा जाता हैं. भारत में राजा हरिश्चन्द्र को हर कोई जानता हैं जो अपनी सत्यवादिता के कारण अमर हो गया.