Hindi, asked by harsh93198, 5 days ago

सतगुरु हम सुं रीझी करि, एक क्हया पृसंग।
बरस्या बादल प्रेम का, भीजि गया सब अंग।।

व्याख्या और काव्य सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए ।।​

Answers

Answered by krishnamathur613
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सद्गुरु ने मुझ पर प्रसन्न होकर एक रसपूर्ण वार्ता सुनाई जिससे प्रेम रस की वर्षा हुई और मेरे अंग-प्रत्यंग उस रस से भीग गए।

पुस्तक : कबीर ग्रंथावली (पृष्ठ 117) प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन संस्करण : 2013।

Answered by jitenderjakhar
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Answer:

माया के भ्रम में पड़ी हुई जीवात्मा जीवन के मूल उद्देश्य को विस्मृत कर देती है। जीवात्मा को इस दशा से बाहर निकालने का कार्य गुरु के माध्यम से ही पूर्ण हो सकता है। गुरु अपने ज्ञान के आधार पर साधक को प्रकाश की तरफ ले जाता है। कबीर साहेब ने जहाँ गुरु की महत्ता को स्थापित किया है वहीँ गुरु की पहचान पर अधिक जोर दिया है और स्पष्ट किया है की गुरु का ग्यानी होना अत्यंत आवश्यक है। उल्लेखनीय है की कबीर साहेब ने इस दोहे में रूपक अलंकार का सुन्दर व्यंजना की है।

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