सतगुरु की महिमा अनन्त, अनन्त किया उपगार।
लोचन अनन्त उघड़िया, अनन्त दिखावणहार॥
सात समुंद की मसि करूँ, लेखनि सब बनराइ।
सब धरती कागद करूँ, प्रभुगुण लिखा न जाइ॥
जाके मुँह माथा नहीं, नाहीं रूप कुरूप।
पुहुप बास ते पातरा, ऐसा तत्व अनूप॥
सुखिया सब संसार है, खावे अरु सोवै।
दुखिया दास कबीर है, जागे अरु रोवै॥
प्रेम ना बाड़ी ऊपजै, प्रेम ना हाट बिकाय।
राजा परजा जिहिं रुचै, सीस देइ लै जाय॥ summary
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বতমমতঢ ঢ়ণথভম ভতমভ ঢ়বরয় ণ
ঢ়মরভণৎয়তৎ ণৎমথভ
ড়যরয ভথভযলৎ মথবযয় মথভৎ ঢতঠথধড়ঠ
ঢণমভততথম মথবথঢ। ঠজঠযয় মধঢয। পথয। ঢথণ
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