Hindi, asked by amitkr21000k, 10 months ago

सटपटात-सी ससि-मुखी, मुख चूँघट-पट ढाँकि।
पावक-झर-सी झमकि कै, गई झरोखे झाँकि।।६।। arth shahit​

Answers

Answered by bro78
2

Answer:

Hi guys Good morning

Explanation:

is paankati mein Upma alankar hai kyonki

yahan mukh ki tulna chand se kya gaya hai

arthat mukh ki sundarta ko chand sa sundar kaha gaya hai

Answered by dgmellekettil
2

Answer:

दिए गए पंक्ति का अर्थ कुछ इस प्रकार है:

Explanation:

"सटपटात-सी ससि-मुखी, मुख चूँघट-पट ढाँकि।

पावक-झर-सी झमकि कै, गई झरोखे झाँकि।।"

  • यह पंक्ति कविता- कोश के बिहारी सतसई के प्रथम शतक के भाग-8 से ली गई है जिसके रचयिता बिहारी लाल हैं ।
  • यह एक मुक्तक काव्य है।
  • यह कविता कोश 719 दोहे का एक संकलन है भारतीय काव्यों को एक ही जगह संकलित करने के उद्देश्य से की गई हैं।
  • कविता कोश के माध्यम से कवि एक नायिका का वर्णन कर रहे हैं मृगके समान नयनों वाली ,नायक को उसकी एक झलक पङते ही नायिका के एक दर्शन के लिए वह बार-बार नजरें उठाकर नायिका की बाट जोहने लगा।
  • नायिका के बारे में कवि कहते हैं कि, वह डरी हुई सी ,चंद्रबदनी, अपने मुख को घुंघट से ढक कर अग्नि की लपट सरीखी, चंचलता के साथ झरोखे से झांक भी लेती है।
  • कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहते हैं कि, नायिका नायक से मिलना तो चाहती है, देख तो रही ही है ,पर अपने से बड़े गुरुजनों के डर से या उनके आदर करके ,अपने मुख पर लज्जा रुपी आंचल डाल लेती है, पर ,अग्नि के समान लपट सरीखी चंचलता के साथ झांक भी लेती है।
  • तात्पर्य है कि ,आग की लपट नायक और नायिका दोनों के हृदय में बाण के समान चुभ रही है ,जो हृदय को आर पार करके निकल जाती है।
  • यहां बिहारी लाल की जो रचना "सतसई " है,श्रृंगार रस के कारण अत्यंत प्रसिद्ध हो गई है ।और उनकी अनूठी कृति मानी गई।
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