English, asked by shivaniarya8085, 6 months ago

सतत आर्थिक विकास की तीन विशेषताएं।​

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Answered by banitapattanayak9
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ट्रांस्फॉर्मिंग आवर वर्ल्ड : द 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट' के संकल्प को, जिसे सतत विकास लक्ष्यों के नाम से भी जाना जाता है, भारत सहित 193 देशों ने सितंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय पूर्ण बैठक में स्वीकार किया गया था और इसे एक जनवरी, 2016 को लागू किया गया। सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य सबके लिए समान, न्यायसंगत, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, समृद्ध और रहने योग्य विश्व का निर्माण करना और विकास के तीनों पहलुओं, अर्थात सामाजिक समावेश, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण को व्यापक रूप से समाविष्ट करना है। सहस्राब्दी विकास लक्ष्य के बाद, जो 2000 से 2015 तक के लिए निर्धारित किए गए थे, विकसित इन नए लक्ष्यों का उद्देश्य विकास के अधूरे कार्य को पूरा करना और ऐसे विश्व की संकल्पना को मूर्त रूप देना है, जिसमें कम चुनौतियां और अधिक आशाएं हों।

हम पृथ्वी को माता मानते है और सतत विकास सदैव हमारे दर्शन और विचारधारा का मूल सिद्धांत रहा है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनेक मोर्चों पर कार्य करते हुए हमें महात्मा गांधी की याद आती है, जिन्होंने हमें चेतावनी दी थी कि धरती प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताओं को तो पूरा कर सकती है, पर प्रत्येक व्यक्ति के लालच को नहीं।

भारत लंबे अरसे से सतत विकास के पथ पर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है और इसके मूलभूत सिद्धांतों को अपनी विभिन्न विकास नीतियों में शामिल करता आ रहा है। हाल के विश्वव्यापी आर्थिक संकट के बावजूद विकास की अच्छी दर बनाए रखने में हम सफल रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने सबसे निर्धन वर्ग के कल्याण को प्रमुखता दी। इसलिए 2030 के हमारे सतत विकास एजेंडे में निर्धनता को पूर्णतः समाप्त करने का लक्ष्य न केवल हमारा नैतिक दायित्व है, बल्कि शांतिपूर्ण, न्यायप्रिय और चिरस्थायी विश्व को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी भी है।

भारत के विकास संबंधी अनेक लक्ष्यों को सतत विकास लक्ष्यों में शामिल किया गया है। हमारी सरकार द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे अनेक कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप हैं, जिनमें मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण और शहरी दोनों, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, डिजिटल इंडिया, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, स्किल इंडिया और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शामिल हैं। इसके अलावा अधिक बजट आवंटनों से बुनियादी सुविधाओं के विकास और गरीबी समाप्त करने से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सतत विकास लक्ष्यों को विकास नीतियों में शामिल करने के लिए हम अनेक मोर्चों पर कार्य कर रहे हैं, ताकि पर्यावरण और हमारी पृथ्वी के अनुकूल एक बेहतर जीवन जीने की हमारे देशवासियों की वैध इच्छाओं को पूरा किया जा सके। केंद्र सरकार ने सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखने तथा इसके समन्वय की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को संबंधित राष्ट्रीय संकेतक तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद द्वारा प्रस्तावित संकेतकों की वैश्विक सूची से उन संकेतकों की पहचान करना, जो हमारे राष्ट्रीय संकेतक ढांचे के लिए अपनाए जा सकते हैं, वास्तव में एक मील का पत्थर है।

हमारे संघीय ढांचे में सतत विकास लक्ष्यों की संपूर्ण सफलता में राज्यों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। राज्यों में विभिन्न राज्य स्तरीय विकास योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इन योजनाओं का सतत विकास लक्ष्यों के साथ तालमेल होना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों को सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन में आनेवाली विभिन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय संसद विभिन्न हितधारकों के साथ गहन विचार-विमर्श कर रही है। जैसे, अध्यक्षीय शोध कदम (एसआरआई), जो हाल ही में स्थापित किया गया एक मंच है, सतत विकास लक्ष्यों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर हमारे सांसदों द्वारा क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श को सुविधाजनक बनाता है। इसके अलावा नीति आयोग ने अन्य संगठनों के सहयोग से विशेष सतत विकास लक्ष्यों पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर परामर्श शृंखलाएं आयोजित की हैं, ताकि विशेषज्ञों, विद्वानों, संस्थाओं, सिविल सोसाइटियों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और केंद्रीय मंत्रालयों सहित राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ गहन विचार-विमर्श किया जा सके।

भारत सरकार द्वारा, न्यूयार्क में जुलाई, 2017 में आयोजित होने वाले उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच (एचएलपीएफ) पर अपनी पहली स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा (वीएनआर) प्रस्तुत करने हेतु लिया गया निर्णय इसका उदाहरण है कि भारत सतत विकास लक्ष्यों के सफल कार्यान्वयन को कितना महत्व दे रहा है। पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए संपूर्ण विकास हेतु लोगों की आकांक्षाएं पूरी करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य तथा स्थानीय स्तर पर प्रत्येक व्यक्ति और संस्था द्वारा और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

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jaldi kro time nhi bachaa jyada

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