Hindi, asked by AngleAarya, 7 months ago


सद्भिरेव सहासीत सद्भिः कुर्वीत सङ्गतिम्
सद्भिर्विवादं मैत्री च नासद्भिः किञ्चिदाचरेत् ।। 4 ।।
It's a Sanskrit shloka...
I want meaning in Hindi​

Answers

Answered by shishir303
7

सद्भिरेव सहासीत सद्भिः कुर्वीत सङ्गतिम्

सद्भिर्विवादं मैत्री च नासद्भिः किञ्चिदाचरेत् ।।

अर्थ :  हमेशा सज्जन व्यक्तियों की संगत ही करनी चाहिए। सज्जन व्यक्तियों के साथ ही बैठना चाहिए। सज्जन व्यक्तियों के साथ ही आचार विचार करना चाहिए। उनके साथ ही वाद-विवाद और मित्रता करनी चाहिए। दुष्ट लोगों के साथ किसी भी तरह का संबंध व्यवहार या आचरण नहीं करना चाहिए। दुष्ट लोगों के साथ किसी भी तरह का संबंध या आचरण सदैव हानि ही देगा।

व्याख्या : यहां पर श्लोक में कहने का तात्पर्य यह है कि सज्जन और अच्छे लोगों की संगति ही श्रेष्ठ होती है। अच्छे लोगों के साथ ही रहना चाहिए, जिससे अच्छे विचारों का आदान प्रदान ही हो। सच्चे लोगों के साथ ही मित्रता करनी चाहिए और यदि कोई भी बात विवाद बहस करनी है, तर्क करने हैं वह भी अच्छे सज्जन व्यक्तियों के साथ ही करना चाहिए। क्योंकि उनसे अच्छी बातें ही सीखने को मिलेंगी। दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों के साथ किसी भी तरह का व्यवहार करना ना ही लाभदायक है और ना ही उत्तम है। उनसे  हानि ही प्राप्त होगी।

Answered by pranikapatidar6529
2

Explanation:

सज्जनों के साथ ही बैठना चाहिए। सज्जनों के साथ संगति (रहन-सहन) करनी चाहिए। सज्जनों के साथ विवाद (तर्क-वितर्क) और मित्रता करनी चाहिए।असज्जनों (दुष्टों) के साथ कुछ भी व्यवहार नहीं करना चाहिए।

Similar questions