Hindi, asked by Anonymous, 7 months ago

"सदाचार का महत्व" पर 10 पंक्तियो मे अनुच्छेद लिखे
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Answered by ashutosh0143
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यह सदाचार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं, सत+आचार सत का अर्थ हैं अच्छा और आचार का अर्थ हैं व्यवहार. इस तरह सदाचार का अर्थ हैं अच्छा व्यवहार. अच्छे व्यवहार से ही व्यक्ति के सदाचारी होने की पहचान होती हैं. सदाचारी बनने के लिए ईमानदार होना आवश्यक हैं.

जो व्यक्ति अपने प्रति ईमानदार होता हैं, वह सबके प्रति इमानदारी बरतता हैं. चाहे वह सेवा की बात हो या कर्तव्य की, धन की बात हो या कमाई की, लेने की बात हो या देने की. सब में उसका व्यवहार ईमानदारीपूर्ण रहता हैं. ईमानदार व्यक्ति गरीब होते हुए भी धनी होता हैं, क्योंकि ईमानदारी के कार्यों से उसे सम्मान और आनन्द मिलता हैं. बेईमान व्यक्ति धनवान तो हो सकता हैं, परन्तु वह आनन्द एवं सम्मान नही प्राप्त कर सकता हैंजो व्यक्ति सदाचारी होता हैं, वह अनुशासित और संयमी भी होता हैं. इन गुणों को उसके बोल-चाल, कार्य व्यवहार, खान पान और रहन सहन आदि में देखा जाता हैं. वह स्वयं अनुशासित रहकर अच्छे व्यवहार का परिचय देता हैं.सत्य बोलना एक प्रकार की अखंड तपस्या हैं, झूठ बोलना अच्छा नही माना जाता हैं.

जों व्यक्ति ह्रदय से सत्य बोलने का व्रत लेता हैं, वह सदाचारी होता हैं. ऐसा व्यक्ति मरते दम तक सत्य बोलने के धर्म का पालन करता हैं. सदाचारी व्यक्ति जहाँ भी जाता हैं, प्रसन्न रहता हैं और अपने सम्पर्क में आने वालों को भी प्रसन्नता देता हैं. उसके पास सद्गुण तथा सद्व्यवहार का भंडार होता हैं. वह झूठी प्रशंसा से प्रभावित नही होता हैं, वह निर्भय होता हैं.विपत्तियाँ और प्रतिकूल परिस्थतियाँ प्रायः सभी के जीवन में आती हैं, किन्तु सदाचारी व्यक्ति इनसें कभी विचलित नही होता हैं. ऐसे व्यक्ति के जीवन में कितनी भी बड़ी विपदा आ जाए तो भी वह उससे मुकाबला करने की क्षमता रखता हैं. उसमें असीम धैर्य एवं सहनशक्ति जैसे महान गुण होते हैं.

परोपकार करना उसका स्वभाव होता हैं. वह अपने कार्यों से सदा दूसरों का भला करता हैं. लोग उस पर विश्वास करते हैं. सभा हो या समुदाय, सदाचार से युक्त व्यक्ति सर्वत्र पूजा जाता हैं. सदाचार सफलता का मार्ग हैं. जो व्यक्ति को मंजिल तक पहुचाता हैं. अच्छे व्यवहार के कारण कठिन काम भी सहजता से बन जाते हैं. इसके द्वारा मनुष्य अपनी असीम शक्ति को प्रकट कर सकता हैं.

 

सदाचार के बल पर असीम शक्ति को प्रकट करने वाला सामर्थ्यवान मनुष्य संत और महापुरुष के रूप में जाना जाता हैं. वह अपने महान कार्यों से महापुरुष कहलाता हैं. ऐसे ही महापुरुष हमारे जीवन के आदर्श होते हैं. उनका सद्व्यवहार भी अनुकरणीय होता हैं. हमे परस्पर सद्व्यवहार करना चाहिए. सद्व्यवहार ही वास्तव में सदाचार हैं.

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