सदाचार का ताबीज कहानी का सारांश लिखिए
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एक राज्य में हल्ला मच गया की भष्ट्राचार बहुत बड गया है तब राजा ने दरबारियों से कहा की प्रजा कह रही हैं कि हर जगह भष्ट्राचार फैला हुआ है हमे तो आज तक नहीं दिखा तुम्हें दिखा हो तों बताओ तब राजा के चापलुस दरबारियों ने कहा कि जब स्वयम हुजूर को नहीं दिखा तो हमे कैसे दिखेगा राजा ने कहा फिर भी तुम पुरे राज्य मे ढूंढ के देखो कही भष्ट्राचार तो नही अगर कही मील जाए तो हमे दिखाने के लिए नमूना लेते आना हम भी तो देखे की कैसा होता है तब एक दरबारी ने कहा महाराज सुना है वह बहुत बारीक होता है हमे आपकी विराटता देखने की आदत है तो हमे नही दिखाई देगा हमारे राज्य मे एक जाती रहती है इनके पास कुछ ऐसा काजल रहता है जिससे वे बारीक से बारीक चीज देख सकते हैं आप उन्हे भेजिए राजा ने उन विशोषज्ञ जाती वालो को भष्ट्राचार की खोज में भेजा वे विशोषज्ञ दो महीने बाद दरबार में हाजिर हुए राजा ने उनसे पुछा क्या तुम्हे भष्ट्राचार मिला तब विशोषज्ञो ने कहा हा महाराज बहुत सारा तब राजा ने हाथ बढ़ाया मुझे बताओ देखु कैसा होता है विशोषज्ञो ने कहा महाराज उसे देखा नहीं जा सकता अनुभव किया जा सकता है तब एक दरबारी ने कहा वह कैसे अनुभव होता है विशोषज्ञो ने कहा वह सव्त है आपके पुरे शासन मे भष्ट्राचार है वह घुस के रूप में है तब राजा ने कहा कि हम भष्ट्राचार मिटाना चाहते हैं क्या तुम्हारे पास कोई उपाय है विशोषज्ञो ने कहा हा महाराज आप को भष्ट्राचार के मौके मिटाने होगे राजा ने कहा तुम अपनी योजना लिख जाओ हम उसपे विचार करेंगे विशोषज्ञ चले गए विचार करते करते राजा की तबियत खराब हो गई तब दरबारी ने कहा महाराज चिंता के कारण आपका स्वास्थय खराब हो रहा है तब राजा ने कहा तुम ही कोई सरल उपाय बताओ दरबारी ने एक साधु को लाया साधु ने कहा महाराज मेरे पास भष्ट्राचार मिटाने वाला ताबीज़ है इसे बाधने से आदमी एकदम सदाचारी हो जाता है ईश्वर जब मनुष्यों को बनाता है तो किसी मे ईमानदारी की ओर किसी मे बेईमानी की कल फीट कर देता है इस ताबीज़ को पहनने से मनुष्य ईमानदार हो जाता है तब राजा ने कहा हम बहुत खुश हुए हमे नही मालूम था कि हमारे राज्य मे इतने महान साधु है राजा ने कहा हमे हमारे राज्य के लिए लाखो ताबीज़ चाहिए तब दरबारी ने कहा महाराज आप साधु को ठेका दे दीजिये वह उनकी मंडली के साथ ताबीज़ बनाएगे महाराज ने अपने हर एक कर्मचारी को ताबीज़ बाधा अब ताबीज़जो के कारखाने खुल गए राजा एक दिन भेष बदल कर गये और एक दरबारी को पचास रू दिए उसने नहीं लिए कर्मचारी ने उनहे डाटा ओर कहा घुस लेना पाप है राजा एक दिन ओर भेष बदल कर गये और एक दरबारी को पचास रू दिए उसने ले लिए राजा ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा कि मै तुमहारा राजा हु ओर कहा क्या आज तु सदाचार का ताबीज़ पहन कर नहीं आया है उसने राजा को दिखाया राजा ने ताबीज़ को कान से लगाया उसमे से आवाज आई आज इकतीस है आज तो ले ले