"सदैव पुरतो निधेहि चरणम्" एतस्य गीतस्य रचयिता
क:?
कालिदास
रामधारी सिंह
वाल्मीकि
श्रीधर भास्कर वर्णेकरः।
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your sanskrit anwer is
Explanation:
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"सदैव पुरतो निधेहि चरणम्" एतस्य गीतस्य रचयिताक:
कालिदास
कालिदास (संस्कृत: कालिदासः ) तीसरी- चौथी शताब्दी गुप्त साम्राज्य के संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे।उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएँ की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्त्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं।अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है। यह नाटक कुछ उन भारतीय साहित्यिक कृतियों में से है जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था। यह पूरे विश्व साहित्य में अग्रगण्य रचना मानी जाती है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति और अभिव्यंजनावादभावाभिव्यन्जना शक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है और प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत रखंडकाव्ये से खंडकाव्य में दिखता है।कालिदास वैदर्भी रीति के कवि हैं और तदनुरूप वे अपनी अलंकार युक्त किन्तु सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं।[4]उनके प्रकृति वर्णन अद्वितीय हैं और विशेष रूप से अपनी उपमाओं के लिये जाने जाते हैं।
Explanation:
- कालिदास ने शुंग राजाओं के छोड़कर अपनी रचनाओं में अपने आश्रयदाता या किसी साम्राज्य का उल्लेख नहीं किया। सच्चाई तो यह है कि उन्होंने पुरुरवा और उर्वशी पर आधारित अपने नाटक का नाम विक्रमोर्वशीयम् रखा।
- कालिदास ने किसी गुप्त शासक का उल्लेख नहीं किया। विक्रमादित्य नाम के कई शासक हुए, संभव है कि कालिदास इनमें से किसी एक के दरबार में कवि रहे हों। अधिकांश विद्वानों का मानना है कि कालिदास शुंग वंश के शासनकाल में थे, जिनका शासनकाल 100 सदी ईसापू्र्व था।
- अग्निमित्र, जो मालविकाग्निमित्र नाटक का नायक है, कोई सुविख्यता राजा नहीं था, इसीलिए कालिदास ने उसे विशिष्टता प्रदान नहीं की। उनका काल ईसा से दो शताब्दी पूर्व का है और विदिशा उसकी राजधानी थी।
- कालिदास के द्वारा इस कथा के चुनाव और मेघदूत में एक प्रसिद्ध राजा की राजधानी के रूप में उसके उल्लेख से यह निष्कर्ष निकलता है कि कालिदास अग्निमित्र के समकालीन थे।