'सदैव पुरतो निधेहि चरणम्' इति गीतस्य लेखक: क: अस्ति ?
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O 'सदैव पुरतो निधेहि चरणम्' इति गीतस्य लेखक: क: अस्ति ?
► 'सदैव पुरतो निधेहि चरणम्' इति गीतस्य लेखक: नामः ‘श्रीधरः भास्करः वर्णेकरः’ अस्ति।
चल चल पुरुतो निधेहि चरणम्।
सदैव पुरतो निधेहि चरणम्।।
अर्थात चलो चलो आगे बढ़ो, आगे पग यानि कदम रखो। सदा ही आगे अपने पग रखते रहो।
भावार्थ : निरंतर आगे बढ़ते रहना ही जीवत की गति है। निरंतर चलते रहना ही जीवन की सार्थकता है। यानि जीवन को क्रियाशील बनाये रखना ही जीवन है।
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