Satsangati par kahani
Answers
पकड़ो पकड़ो एक राजा आ रहा है इसके पास बहुत सारा सामान है लूटो लूटो जल्दी आओ जल्दी आओ.
तोते की आवाज सुनकर सभी डाकू राजा की और दौड़ पड़े. डाकुओ को अपनी और आते देख कर राजा और उसके सैनिक दौड़ कर भाग खड़े हुए. भागते-भागते कोसो दूर निकल गए. सामने एक बड़ा सा पेड़ दिखाई दिया. कुछ देर सुस्ताने के लिए उस पेड़ के पास चले गए , जैसे ही पेड़ के पास पहुचे कि उस पेड़ पर बैठा तोता बोल पड़ा –
आओ राजन हमारे साधु महात्मा की कुटी में आपका स्वागत है. अन्दर आइये पानी पीजिये और विश्राम कर लीजिये.
तोते की इस बात को सुनकर राजा हैरत में पड़ गया , और सोचने लगा की एक ही जाति के दो प्राणियों का व्यवहार इतना अलग-अलग कैसे हो सकता है. राजा को कुछ समझ नहीं आ रहा था. वह तोते की बात मानकर अन्दर साधु की कुटिया की ओर चला गया, साधु महात्मा को प्रणाम कर उनके समीप बैठ गया और अपनी सारी कहानी सुनाई. और फिर धीरे से पूछा, “ऋषिवर इन दोनों तोतों के व्यवहार में आखिर इतना अंतर क्यों है.”
साधु महात्मा धैर्य से सारी बातें सुनी और बोले ,” ये कुछ नहीं राजन बस संगति का असर है. डाकुओं के साथ रहकर तोता भी डाकुओं की तरह व्यवहार करने लगा है और उनकी ही भाषा बोलने लगा है. अर्थात जो जिस वातावरण में रहता है वह वैसा ही बन जाता है कहने का तात्पर्य यह है कि मूर्ख भी विद्वानों के साथ रहकर विद्वान बन जाता है और अगर विद्वान भी मूर्खों के संगत में रहता है तो उसके अन्दर भी मूर्खता आ जाती है. इसिलिय हमें संगति सोच समझ कर करनी चाहिए.”
सत्संगति पर कहानी|
Explanation:
एक बार की बात है एक अध्यापक का एक ही पुत्र था जो कि बहुत ही शैतान था | अध्यापक पिता दुनिया के बच्चो को सत्संगति का पाठ पढ़ता था लेकिन खुद के पुत्र को देख उसे बहुत दुःख पहुँचता था| अध्यपक का पुत्र कुसंगति में पड़ गया था | अध्यापक के बहुत प्रयास करने पर भी पुत्र में कुछ सुधर न दिखाई दिया| ऐसे में जब एक दिन अध्यापक अपने पुत्र के साथ बाजार गए तो उन्होंने एक किलो सेब ख़रीदे | अध्यापक ने सभी सेब साफ़ सुथरे ख़रीदे लेकिन एक सेब गला हुआ लिया| जब अध्यपक ने अपने पुत्र को उस गले हुए सेब को बाकी साफ़ सुथरे सेबों के साथ रखने को कहा तो पुत्र ने जरा देर न लगा कर सब सेब एक साथ रख दिए|
फिर दो दिन बाद अध्यापक ने अपने पुत्र को सेब लाने को कहा, जब पुत्र सेब ले कर आया तो उसने पाया कि सब सेब तो ख़राब हो गए हैं | और अपने पिताजी से इसका कारण पूछा| तब अध्यापक ने अपने पुत्र को समझाया कि जैसे एक केवल एक सेब ही सब सेबों को खराब कर सकता हैं वैसे ही कुसंगति में पड़ा एक बच्चा ही अपने पूरे समूह को ख़राब कर उन्हें बुराई के मार्ग पर ले जा सकता है|
इसलिए हमे सदैव सत्संगति में रहना चाहिए और अपने भविष्य को उज्जवल बनाना चाहिए| पिता की यह बात पुत्र के दिमाग में बैठ गई और अब वह कुसंगति को छोड़ सत्संगति के पथ पर चल पड़ा|
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Satsangati ka fal short story in Hindi
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