satsangati se labh aur kusang gati se hani vishay par apne vichar likhiye
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सत्संगति का अर्थ–
सत्संगति का अर्थ है अच्छे आदमियों की संगति, गुणी जनों का साथ। अच्छे मनुष्य . का अर्थ है वे व्यक्ति जिनका आचरण अच्छा है, जो सदा श्रेष्ठ गुणों को धारण करते और अपने सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों के प्रति अच्छा बर्ताव करते हैं। जो सत्य का पालन करते हैं, परोपकारी हैं, अच्छे चरित्र ‘ के सारे गुण जिनमें विद्यमान हैं, जो निष्कपट एवं दयावान हैं, जिनका व्यवहार सदा सभी के साथ अच्छा रहता है–ऐसे अच्छे व्यक्तियों के साथ रहना, उनकी बातें सुनना, उनकी पुस्तकों को पढ़ना, ऐसे सच्चरित्र व्यक्तियों की जीवनी पढ़ना और उनकी अच्छाइयों की चर्चा करना सत्संगति के ही अन्तर्गत आते हैं..
सत्संगति के लाभ–
सत्संगति के परिणामस्वरूप मनुष्य का मन सदा प्रसन्न रहता है। मन में आनन्द और सद्वृत्तियों की लहरें उठती रहती हैं। जिस प्रकार किसी वाटिका में खिला हुआ सुगंधित पुष्प सारे वातावरण को महका देता है, उसके अस्तित्व से अनजान व्यक्ति भी उसके पास से निकलते हुए उसकी गंध से प्रसन्न हो उठता है, उसी प्रकार अच्छी संगति में रह कर मनुष्य सदा प्रफुल्लित रहता है। सम्भवत: इसीलिए महात्मा कबीरदास ने लिखा है-
कबिरा संगति साधु की, हरै और की ब्याधि।
संगत बुरी असाधु की, आठों पहर उपाधि॥”
कुसंगति से हानि–
कुसंगति सत्संगति का विलोम है। दुष्ट स्वभाव के मनुष्यों के साथ रहना कुसंगति है। कुसंगति छूत की एक भयंकर बीमारी के समान है। कुसंगति का विष धीरे–धीरे मनुष्य के सम्पूर्ण गुणों को मार डालता है। कुसंगति काजल से भरी कोठरी के समान है। इसके चक्कर में यदि कोई चतुर से चतुर व्यक्ति भी फँस जाता है तो उससे बच कर साफ निकल जाना उसके लिए भी सम्भव नहीं होता। इसीलिए किसी ने ठीक ही कहा है-
काजल की कोठरी में कैसो ह सयानो जाय,
एक लीक काजल की, लागि है पै लागि है।”
इस प्रकार की कुसंगति से बचना हमारा परम कर्तव्य है। बाल्यावस्था और किशोरावस्था में तो कुसंगति से बचने और बचाने का प्रयास विशेष रूप से किया जाना चाहिए क्योंकि इन अवस्थाओं में व्यक्ति पर संगति (चाहे अच्छी चाहे बुरी) का प्रभाव तुरन्त और गहरा पड़ता है। इस अवस्था में अच्छे और बुरे का बोध भी प्राय: नहीं होता। इसलिए इस समय परिवार के बुजुर्गों और गुरुओं को विशेष रूप से ध्यान रख कर बच्चों को कुसंगति से बचाने का प्रयास करना चाहिए।
Explanation:
Answer:
काजल की कोठरी में कैसो ह सयानो जाय, एक लीक काजल की, लागि है पै लागि है।” इस प्रकार की कुसंगति से बचना हमारा परम कर्तव्य है। बाल्यावस्था और किशोरावस्था में तो कुसंगति से बचने और बचाने का प्रयास विशेष रूप से किया जाना चाहिए क्योंकि इन अवस्थाओं में व्यक्ति पर संगति (चाहे अच्छी चाहे बुरी) का प्रभाव तुरन्त और गहरा पड़ता है।