Hindi, asked by sanjay79027, 7 months ago

Satvik anubhav ke bhed kitne hai

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Answered by milanmeena97
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Answer:

(अ) साधारण अनुभाव :- कोई भी भाव उत्पन्न होने पर जब आश्रय (जिसके मन में भाव उत्पन्न हुआ है) जान- बूझ कर यत्नपूर्वक कोई चेष्टा, अभिनय अथवा क्रिया करता है, तब ऐसे अनुभाव को साधारण या यत्नज अनुभाव कहते हैं।

जैसे :- बहुत प्रेम उमड़ने पर गले लगाना

क्रोध आने पर धक्का देना आदि साधारण या यत्नज अनुभाव हैं।

(आ) - सात्विक अनुभाव :- कोई भी भाव उत्पन्न होने पर जब आश्रय (जिसके मन में भाव उत्पन्न हुआ है) द्वारा अनजाने में अनायास, बिना कोई यत्न किए स्वाभाविक रूप से कोई चेष्टा अथवा क्रिया होती है, तब ऐसे अनुभाव को सात्विक या अयत्नज अनुभाव कहते हैं।

जैसे - डर से जड़वत् हो जाना, पसीने पसीने होना, काँपना

चीख पड़ना, हकलाना और रोना आदि सात्विक या अयत्नज अनुभाव हैं।

Explanation:

Answered by soniatiwari214
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उत्तर:

सात्विक अनुभव के कुल आठ भेद माने गए हैं।

व्याख्या:

अनुभाव के अंतर्गत आलंबन की चेष्टाएं आती हैं। जैसे यदि राम (आलंबन) के मन में सीता (विभाव) को देख कर रति भाव जागृत होता है तो राम की अभी चेष्टाएं अनुभाव के अंतर्गत आएंगी।

अनुभाव दो प्रकार के होते हैं: कायिक और सात्विक।

सात्विक अनुभाव वे होते हैं जिनके ऊपर आलंबन का नियन्त्रण नहीं रहता है।

इसके आठ प्रकार हैं:

1. स्तम्भ : प्रसन्नता, लज्जा ,व्यथा आदि के कारण शरीर की चेष्टाओं पर विराम होना।

2. स्वेद : श्रम ,अनुराग, विस्मय आदि के कारण पसीना छूटना।

3. रोमांच : हर्ष, अत्यधिक प्रेम, शीत, क्रोध आदि से रोंगटे खड़े हो जाना।

4. स्वर-भंग: भय, क्रोध आदि के कारण ठीक प्रकार से न बोल पाना।

5. कंप: भय, आनंद, क्रोध, के कारण शरीर कांपने लग जाना।

6. वैवर्ण्य अथवा विवर्णता: क्रोध, लज्जा, भय, मोह आदि के कारण चेहरे का रंग उड जाना।

7. अश्रु: भय, शोक ,आनंद आदि के कारण आँखों में अश्रु आनंद।

8. प्रलय: मोह, निद्रा, मद आदि के कारण चेतना शून्य हो जाना।

#SPJ2

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