Hindi, asked by tanishadenglye, 4 months ago

Satya ka dikhne aur ojhal hone se aap kya samajhte hain​

Answers

Answered by arslaanshekh758
3

Answer:

I don't understand your question sorry

Answered by ps8800876210
4

Answer:

सत्य के दिखने और ओझल होने से मैं यह समझती हूं कि आज सत्य का कोई एक स्थिर रुप, आकार, पहचान नहीं है, जिससे सत्य को स्थायी मान लिया जाए। उसका रुप वस्तु, स्थिति, घटनाओं और पात्रों के अनुसार बदलता रहता है। इसलिए सत्य की पहचान और उसकी पकड़ करना एक दुष्कर कार्य है। जो एक व्यक्ति के लिए सत्य है, वहीं शायद दूसरे के लिए सत्य नहीं है।

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