सड़कों अथवा चौराहों पर नेताओं कि लगी उपेक्षित मूर्तियों को देखकर आप क्या सोचते हैं?
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सड़कों अथवा चौराहों पर नेताओं कि लगी उपेक्षित मूर्तियों को
सड़कों अथवा चौराहों पर नेताओं कि लगी उपेक्षित मूर्तियों को देखकर नेताओं की आज़ादी के दिनों वाला जोश याद आने लगती है| नेता जी के वह नारे याद आते थे , जो लोगों में उत्साह भर देते थे ,जैसे दिल्ली चलो और तुम मुझे खून दो | मूर्ति देखकर लोगों को प्रतीत होता था की उन्हें देश के नवनिर्माण में बुला रहा है|
यहाँ मूर्ति लगाने का उद्देश्य होता है कि लोगों की सीधी नज़र पड़े। लोग अपने इतिहास में विद्यमान इन लोगों से परिचित हों और उनके बारे में और अधिक जानने को उत्सुक हों। उनके प्रति उनका ध्यान जाए और वे अपने इतिहास के गौरवशाली लोगों तथा पलों से परिचित हो।
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