सड़कों की गुणवत्ता पर विभिन्न देशों का कैसा प्रभाव है?
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सड़कों के महत्त्व को समझते हुए और वैज्ञानिक तरीके से इनके निर्माण को लेकर हाल ही में देश की पहली राजमार्ग क्षमता नियम पुस्तिका जारी की गई। इस मैनुअल का नाम इंडो-एचसीएम है। अमेरिका, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान जैसे विकसित देशों में राजमार्ग क्षमता नियम पुस्तिका का बहुत पहले से ही उपयोग किया जा रहा है, लेकिन भारत में पहली बार इस पुस्तिका को विकसित किया गया है।
इसे केंद्रीय सड़क शोध संस्थान (सीआरआरआई) ने विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ मिलकर तैयार किया है।इस अध्ययन में 7 शैक्षणिक संस्थान शामिल थे–आईआईटी रुड़की, मुम्बई और गुवाहाटी; स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली; इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शिबपुर; सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत तथा अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई।
देश में काफी लंबे समय से इस प्रकार के मैनुअल की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। अमेरिका में ऐसा मैनुअल 1950 में तैयार हुआ था और इंडोनेशिया में यह 1996 में तैयार हुआ था। इसके अलावा चीन, ताइवान और मलेशिया में भी ऐसे मैनुअल तैयार किये जा चुके हैं।
माना जा रहा है कि इस मैनुअल से सड़कों के निर्माण में एकरूपता तो आएगी ही, साथ ही इससे सड़क निर्माण की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिये ऐसा ही एक अन्य मैनुअल सड़क सुरक्षा के लिये भी लाने की दिशा में सरकार प्रयास कर रही है।
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