सड़क के नियम नहीं तोड़ने चाहिए उनके भेद बताइए
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यातायात’ दो शब्दों से मिलकर बना है- यात + आयात, जिसका अर्थ है, आना-जाना। आजकल सड़क सुरक्षा एक गम्भीर समस्या बन गयी है। प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं में लाखों व्यक्ति मारे जाते हैं। अतः इस पर नियन्त्रण पाना एक चुनौती है।
आइये हम जानें कि ये सड़क दुर्घटनाएँ क्यों होती हैं –
वाहन चलाते समय यातायात के नियमों का पूर्ण ज्ञान न होना।
बहुत तेज गति से वाहन चलाना।
नशे की हालत में गाड़ी चलाना।
चालक का ध्यान भटकाने वाली चीजें तथा लालबत्ती का उल्लंघन करना।
सीट बेल्ट और हेलमेट जैसे सुरक्षा साधनों की उपेक्षा ।
लेन ड्राइविंग का पालन न करना।
गलत तरीके से ओवर टेकिंग करना।
भारत में वर्ष 2011 की अवधि में लगभग 4.9 लाख सड़क दुर्घटनायें हुई, जिसमें 1,42,485 लोगों की मृत्यु हुई। इन भयावह दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात के नियमों का पालन करना अति आवश्यक है ताकि इस समस्या से मुक्ति मिल सके। सड़क दुर्घटनाओं के बचाव हेतु निम्न उपाय किये जा सकते हैं –
सड़क यातायात के नियमों का पालन विवेकपूर्ण होना चाहिए।
पैदल, साइकिल एवं रिक्शा चालकों को हमेशा बायीं तरफ चलना चाहिए।
सड़क पार करते समय दायें-बायें अवश्य देखना चाहिए।
व्यस्त सड़कों पर सदैव जेब्रा-क्रासिंग का प्रयोग करना चाहिए।
शार्ट कट या आसान विकल्प खोजना खतरनाक हो सकता है।
नशे की हालत में वाहन कभी न चलायें।
वाहन चलाते समय हेलमेट एवं सीट-बेल्ट का प्रयोग अवश्य करें।
कभी ओवरटेक करने का प्रयास न करें।
वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
लाल, पीली एवं हरी बत्ती संकेत का पालन अवश्य करें।
अन्तत: यातायात के नियमों के बहुआयामी उद्देश्यों को ध्यान में रखकर प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य बनता है कि वह परिवहन विभग द्वारा बनाए गये यातायात से सम्बन्धित समस्त सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक संकेतकों एवं नियमों का पालन कर देश की समृद्धि एवं विकास में अहम् योगदान देने का प्रयास करें, जिससे हमारा देश, समाज एवं परिवार सुरक्षित रहकर विकास की पराकाष्ठा को प्राप्त करने में सफल रहे।
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