सड़क और लाल बत्ती के बीच का संवाद
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मेरठ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में वीआइपी कल्चर समाप्त करने की बात कहते हुए एक मई से लाल-नीली बत्ती के प्रयोग पर सशर्त रोक लगाने की घोषणा की थी। प्रदेश सरकार ने एक कदम आगे आकर शुक्रवार से ही केंद्र के निर्णय को प्रदेश में लागू कर दिया। लखनऊ में हुई घोषणा का असर स्थानीय स्तर पर भी देखने को मिला। कई अधिकारियों ने अपनी गाड़ी से बत्ती हटा दी। लेकिन सरकार के निर्णय को लेकर अफसर अपने विचारों को मन में ही दबाए रहें।
माननीय और अफसरों की प्राथमिकता जनता से सीधा संवाद होती है। लेकिन लाल और नीली बत्ती अधिकतर जनता से संवाद में बाधा का काम करती है। अफसर और नेता बत्ती लगी कार में खुद को खास समझने की मानसिकता में जकड़े रहते हैं। प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव ने वाहन पर बत्ती की परंपरा पर विराम लगाने की घोषणा विशेष नियमों के साथ की है। शुक्रवार से लागू बत्ती विरोधी निर्णय का असर भी जिले में देखने को मिले। प्रदेश सरकार के तमाम अधिकारियों की गाड़ियों से बत्ती गायब रही। जिले के कई बडे़ अधिकारियों ने प्रदेश सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि वाहन पर बत्ती लगी होने से कोई लाभ नहीं होता, उल्टा जनता के बीच में खास होने की छवि बन जाती है। कई अधिकारी बुझे मन से सरकार के फैसले का सम्मान करने की बात भी कही।
सरकार के फैसले का दूरगामी प्रभाव देखने को मिलेगा। लाल और नीली बत्ती लगे वाहनों में चलने वाले अभी तक आम जनता के बीच में खास होने का रूतबा रखते थे। वीआइपी कल्चर दीवार खड़ी करता है। कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। सरकार के निर्णय का लोगों की मानसिकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
चुनाव से पहले जनता के बीच आने वाला नेता खुद को बड़ा जनसेवक दर्शाता है। चुनाव जीतने के बाद स्थिति बदल जाती और बत्ती संवाद में बाधक बनती है। अधिकारियों के साथ भी ऐसा ही है। अनाधिकृत अधिकारी भी अपने को जनता के बीच बड़ा दिखाने के लिए बत्ती लगे वाहन में सवार होकर जनता के बीच पहुंचते हैं। आम आदमी खुद ही बत्ती वाले अधिकारियों से दूरी बना लेता है। अब बेहतर संवाद की उम्मीद जागी है।
लाल हटाने का फैसला स्वागत योग्य है। अब आम जनता और खास नेता के बीच बत्ती से बनी दूरी कम होगी।
सरकार के फैसले से पहले ही अगर अधिकारी और अफसर बत्ती हटा लेते तो, ज्यादा अच्छा रहता। समाज के लिए काफी अच्छा संदेश होता।
वाहन से बत्ती हटने का कुछ ज्यादा असर नहीं होगा। अधिकारी और माननीय को अपनी सोच को बदलना चाहिए। तभी असर दिखेगा।
आम जनता के बीच सरकार के निर्णय का बेहतर संदेश जाएगा। पहले कई बार लाल-नीली बत्ती के कारण लोगों के मन में संकोच की स्थिति बनती थी।
जनता से बिना बेहतर तालमेल के समस्याओं का निदान नहीं किया जा सकता। लाल और नीली बत्ती ने हमेशा संवाद में बाधा ही खड़ी की है। अब बेहतर होने की उम्मीद है।
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