History, asked by rishabtiwari222006, 5 days ago

सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति लोगों और औपनिवेशिक सरकार के किस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त की ? किन परिस्थितियों में गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया​

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Answered by Jiya0071
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Answer:

मार्च 1930 से महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आन्दोलन ने एक नयी दिशा अख्तियार की, जिसकी शुरुआत सविनय अवज्ञा आन्दालेन और दांडी मार्च से हुई. इस प्रकार एक महान् आन्दोलन प्रारम्भ हुआ, जिसकी प्रतिक्रिया के रूप में सरकार का दमनचक्र भी तेजी से चला. नेहरु ने कहा – “सहसा नमक शब्द रहस्यमय शब्द बन गया, शक्ति का द्योतक”.

गाँधी-इरविन समझौता

गांधी जी और लॉर्ड इरविन में समझौता हुआ, जिसके अंतर्गत सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापस ले लिया गया। हिंसा के दोषी लोगों को छोड़कर आन्दोलन में भाग लेने वाले सभी बन्दियों को रिहा कर दिया गया और कांग्रेस गोलमेज सम्मेलन के दूसरे अधिवेशन में भाग लेने को सहमत हो गई।

Answered by Shreyas235674
4

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मार्च 1930 से महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आन्दोलन ने एक नयी दिशा अख्तियार की, जिसकी शुरुआत सविनय अवज्ञा आन्दालेन और दांडी मार्च से हुई. इस प्रकार एक महान् आन्दोलन प्रारम्भ हुआ, जिसकी प्रतिक्रिया के रूप में सरकार का दमनचक्र भी तेजी से चला. नेहरु ने कहा – “सहसा नमक शब्द रहस्यमय शब्द बन गया, शक्ति का द्योतक”.

गाँधी-इरविन समझौता

गांधी जी और लॉर्ड इरविन में समझौता हुआ, जिसके अंतर्गत सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापस ले लिया गया। हिंसा के दोषी लोगों को छोड़कर आन्दोलन में भाग लेने वाले सभी बन्दियों को रिहा कर दिया गया और कांग्रेस गोलमेज सम्मेलन के दूसरे अधिवेशन में भाग लेने को सहमत हो गई।

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