Hindi, asked by fr273215, 3 months ago

सविनय अवज्ञा आंदोलन पर गरीब किसानों की भूमिका का वर्णन कीजिए​

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Answered by UTTAMSHARMA84
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Answer:

ग़रीब किसान केवल लगान में कमी नहीं चाहते थे। कांग्रेस 'भाड़ा विरोधी' आंदोलनों को समर्थन देने में प्राय: हिचकिचाती थी। (2) पहले विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भारी मुनाफा कमाया था और वे ताकतवर हो चुके थे। वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे।

Answered by VineetaGara
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सविनय अवज्ञा आंदोलन पर गरीब किसानों की भूमिका का वर्णन :​

  • ग़रीब किसान केवल लगान में कमी नहीं चाहते थे। कांग्रेस 'भाड़ा विरोधी' आंदोलनों को समर्थन देने में प्राय: हिचकिचाती थी।
  • पहले विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भारी मुनाफा कमाया था और वे ताकतवर हो चुके थे।
  • वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे।
  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन, ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा चलाये गए जन आन्दोलन में से एक था।
  • 1929 ई. तक भारत को ब्रिटेन के इरादे पर शक़ होने लगा कि वह औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की अपनी घोषणा पर अमल करेगा कि नहीं।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन (1929 ई.) में घोषणा कर दी कि उसका लक्ष्य भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना है।
  • महात्मा गांधी ने अपनी इस माँग पर ज़ोर देने के लिए 6 अप्रैल, 1930 ई. को सविनय अविज्ञा आन्दोलन छेड़ा।
  • जिसका उद्देश्य कुछ विशिष्ट प्रकार के ग़ैर-क़ानूनी कार्य सामूहिक रूप से करके ब्रिटिश सरकार को झुका देना था।
  • इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को यह दिखा दिया कि भारत की जनता अब उसकी सत्ता को ठुकराने और उसकी अवज्ञा के लिए कमर कस चुकी है और उस पर काबू पाना अब मुश्किल है।
  • ब्रिटिश सरकार ने आन्दोलन को दबाने के लिए सख़्त क़दम उठाये और गांधी जी सहित अनेक कांग्रेसी नेताओं व उनके समर्थकों को जेल में डाल दिया।

विनय अवज्ञा आन्दोलन के अंतर्गत चलाये जाने वाले कार्यक्रम निम्नलिखित थे-

  • नमक क़ानून का उल्लघंन कर स्वयं द्वारा नमक बनाया जाए।
  • सरकारी सेवाओं, शिक्षा केन्द्रों एवं उपाधियों का बहिष्कार किया जाए।
  • महिलाएँ स्वयं शराब, अफ़ीम एवं विदेशी कपड़े की दुकानों पर जाकर धरना दें।
  • समस्त विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए उन्हें जला दिया जाए।
  • कर अदायगी को रोका जाए।

आन्दोलनकारियों और सरकारी सिपाहियों के बीच जगह-जगह ज़बर्दस्त संघर्ष हुए थे।

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