सविस्तर समझाइए :भोला गरीबक दिन-कहिया हरब भोला...
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मेरा भोला है भंडारी’ एक ऐसा गाना जो शायद ही किसी भोले भक्त ने ना सुना हो। जी हां इस गाने से प्रसिद्धि बटोरने वाले हंसराज रघुवंशी अब बॉलीवुड में भी एंट्री कर चुके हैं।
हाल ही में हंसराज ने सन्नी देओल के बेटे फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ में एक गाना ‘आधा भी ज्यादा’ गाया।
हंसराज रघुवंशी का बॉलीवुड तक पहुंचने का सफर इतना भी आसान नहीं रहा। उन्होंने किसी भी काम को छोटा बड़ा नहीं समझा और हर वो काम काम किया, जिससे उनको आर्थिक मदद मिल सके।
हंसराज रघुवंशी मूल रूप से सोलन-बिलासपुर की सीमा पर अर्की तहसील के ‘ मांगल गांव’ के रहने वाले हैं। हंसराज ने बताया कि पैसों की कमी के चलते वह अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए। जिस कॉलेज में वो पढ़ रहे थे, वहीं की कैंटीन में बर्तन धोने का काम भी उन्होंने किया है। इन सब के बावजूद हंसराज ने अपने गाने के शौक और रियाज को बरकरार रखा।
Αηѕωєя :
रोबी और कालू प्रियोदा के दल में हैं। उन लोगों ने मनमोहन को भी अपने साथ प्रियोदा के दल में शामिल कर लिया।
हर शनिवार को परमान के उस पार ‘बालूचर’ पर प्रियोदा के दल के सदस्य, स्कूल की छुट्टी के बाद जमा होते हैं। खेल-कूद, गाने-बजाने के अलावा प्रियोदा दुनिया भर की ख़बर सुनाते हैं। रविवार का प्रोग्राम तय करते हैं, किस मुहल्ले में कौन जाएगा मुठिया वसूलने। किस बीमार की सेवा करने कौन-कौन जाएँगे।
उस दिन मनमोहन का परिचय देते हुए कालू ने कहा था, “प्रियोदा! यह मोना-मनमोहन। ख़ूब तेज लड़का है। ‘क्लब’ का सदस्य होना चाहता है।” (एक और जन्मदिन)
प्रियोदा ने मनमोहन को सिर से पैर तक देखकर पूछा था, “भारतवर्ष के एक ऐसे आदमी का नाम लो, जिसे लोग भगवान का अवतार समझते हैं।”
“महात्मा गांधी।”
“ठीक है। तुम पढ़-लिखकर क्या बनना चाहते हो?” प्रियोदा का दूसरा सवाल।
मनमोहन चुप रहा। फिर बोला, “वकील।”
सभी उठाकर हँसे। लेकिन प्रियोदा गम्भीर ही रहे। बोले, “ठीक है। बीमार लोगों की सेवा करना जानते हो?”
“सीख लेंगे।”
“शाबाश! यदि रोगी हैजा से पीड़ित हो?”
मनमोहन चुप रहा, क्योंकि हैजा के नाम से ही उसे डर लगने लगता है।
“गाना जानते हो?”
“जी।”
“तैरना?”
“जी नहीं।”
प्रियोदा ने सूर्यनारायण नामक सदस्य से कहा, “सूरज! मोना तैरना नहीं जानता।” (निर्भय बनो)
“सीख जाएगा। एक दिन उटाकर पानी में फेंक दूंगा, ख़ुद तैरने लगेगा।”
सभी हँसे। सूर्यनारायण पढ़ने में कमजोर हैं, लेकिन शरीर उसका मज़बूत है। रोज़ एक सौ ‘डंड-बैठक’ करता है। उसके साथी ‘सूरज पहलवान’ कहते हैं, उसको। दल के सदस्यों को तैरना सिखलाना उसी का काम है।
उस दिन सभी ने नए सदस्य मोना, यानी मनमोहन से गीत सुनने की इच्छा प्रकट की। मनमोहन पहले लजाया, किन्तु जब प्रियोदा ने आग्रह किया तो उसने खखारकर गला साफ़ किया। कौन गीत गाये वह? उसने शुरू किया।
“राम रहीम न जुदा करो भाई
दिल को सच्चा रखना जी…।”
गीत समाप्त होने के बाद प्रियोदा बोले, “वाह! बहुत मीठा गला है तुम्हारा! कालू, तुम ‘प्रभातफेरी’ वाले दोनों गीत मोना को सिखा देना।”
सूरज पच्छिम की ओर झुक गया। बालूचर पर लाली उतर आई। परमान की धारा पर डूबते हुए सूरज की अंतिम किरण झिलमिलाई। पखेरू दल बाँधकर बाँस-वन की ओर लौटने लगे। प्रियोदा के दल के सभी सदस्य पंक्ति बाँधकर लौटे। पुल के पास एक गाड़ीवान तन्मय होकर गीत गा रहा था-“भोला गरीबक दीन पहिया हरब भोला गरीब’ क दीन।”