सवैया किसकी रचना है ?
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Answer:
सवैया एक छन्द है। यह चार चरणों का समपाद वर्णछंद है। वर्णिक वृत्तों में 22 से 26 अक्षर के चरण वाले जाति छन्दों को सामूहिक रूप से हिन्दी में सवैया कहने की परम्परा है। इस प्रकार सामान्य जाति-वृत्तों से बड़े और वर्णिक दण्डकों से छोटे छन्द को सवैया समझा जा सकता है। सवैया के मत्तगयन्द, सुमुखी, सुंदरी आदि भेद होते
सवैया किसकी रचना है:
इसके रचयिता सुप्रसिद्ध कृष्ण भक्त कवि रसखान जी हैं। इस सवैये में कवि ने कृष्ण और ब्रजभूमि के प्रति अपने अपार प्रेम को अभिव्यक्त करते हुए श्री कृष्ण और ब्रज भूमि से संबंधित वस्तुओं के ऊपर तीनों लोकों, आठों सिद्धियां एवं नव निधियों को लुटाने की बात का वर्णन किया हैं।
Explanation:
सवैया लयमूलक ही होती हैं।
इसमें कुल 23 वर्ण होते हैं । इसमें सात मगण (ऽ । ।) और अन्त में दो गुरु (ऽ ऽ) होते हैं। सवैया छन्द 22 वर्णों से लेकर 26 वर्णों तक का भी हो सकता है.
सवैया प्रकार:
- मदिरा सवैया
- मत्तगयन्द सवैया
- सुमुखि सवैया
- दुर्मिल सवैया
- किरीट सवैया
- गंगोदक सवैया
- मुक्तहरा सवैया
- वाम सवैया
सवैया छंद उदाहरण:
सवैया एक प्रकार का छन्द है। इसे चार चरणों का समपाद वर्णछंद भी कहते है। वर्णिक वृत्तों में 22 से 26 अक्षर के चरण वाले जाति छन्दों को सामूहिक रूप से हिन्दी में सवैया कहने की प्रथा है। इस प्रकार सामान्य जाति-वृत्तों से बड़े और वर्णिक दण्डकों से छोटे छन्द को सवैया कहा जा सकता है।