Savand lekha. Between सेब और आम
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आम- सर, क्या मैं सपना देख सकता हूं? केला- नहीं, सपना सिर्फ केला देख सकता है, आम नहीं। आम- लेकिन सर, मार्टिन लूथर किंग ने भी सपना देखा था। केला- देखा होगा, लेकिन वह अमेरिका था, जहां लोग सपना देख सकते हैं और पूरा भी कर सकते हैं। लेकिन ‘बनाना रिपब्लिक’ में सपना सिर्फ केला देखेगा। आम- लेकिन सर, मैंने तो सपना देख लिया। केला- जो तुमने देखा है, वह सपना नहीं उम्मीद है, उम्मीद! आम- ओबामा वाली उम्मीद? केला- बिल्कुल सही पहचाना तुमने। ओबामा ने उम्मीद की और फिर उम्मीद को बेचा, जैसे अमेरिका बर्गर बेचता है। तुमने भी वह उम्मीद खरीदी है, अब उम्मीद करते रहो और उम्मीद को सपना समझते रहो। आम- अरे फिर मेरी उम्मीद कैसे पूरी होगी? सर, कोई उपाय बताइए। मैं आम आदमी आप जैसा केला कैसे बन सकूंगा? केला- तो सुनो, एक समय में मैं भी आम था।
मैंने भी सपना देखा था, पर मेरा सपना अमेरिका जाने का था। मेरे बाप-दादा केलों से जुड़े हुए आम थे। मैं अमेरिका चला गया। वहां की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की और जब वापस लौटा, तो ‘केला गणराज्य’ में मुझे केला मान लिया गया। आम- तो इसका मतलब है कि मेरा कुछ हो नहीं सकता, क्योंकि मेरे तो बाप-दादा केलों से कभी जुड़े नहीं रहे। केला- अब इसका मैं कुछ नहीं कर सकता।