save animal essay on hindi
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जानवर हमारी ही तरह पृथ्वी के प्राणी है। जिस तरह पृथ्वी में हमारा अधिकार है। उनका भी इसमें बराबर का अधिकार है। भगवान ने जब इस धरती का निर्माण किया तो उसने हर छोटे-बड़े जीव का स्थान व कार्य सोच-समझकर निश्चित किया था। पृथ्वी की हर छोटी-बड़ी वस्तु प्रत्यक्ष रुप में हो अप्रत्यक्ष रुप में एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। एक के समाप्त होने पर दूसरी या तो लुप्त हो जाती है या फिर वह इतने व्यापक तौर पर फैल जाती है की वह अन्य के जीवन पर खतरे की तरह मंडराने लगती है। मनुष्य ने जाने-अनजाने कई ऐसे कार्य किए हैं जिससे हमारी पृथ्वी विनाश के कगार पर है।
हमने स्वयं के हितों की रक्षा के लिए जानवरों का अन्धा-धुन्ध शिकार किया है। कभी स्वयं को मौसम की मार से बचाने के लिए, कभी किसी बीमारी के इलाज स्वरूप, कभी स्वयं को सुन्दर बनाने के लिए, कभी स्वयं को संवारने के लिए, कभी स्वयं के भोजन के रूप में तो कभी अपने घर की शोभा को बढ़ाने के लिए किया है। आहार श्रृंखला से कई ऐसे जीव हैं जो अब आस्तित्व में ही नहीं रहे हैं या लुप्त होने की कगार पर हैं। इसका परिणाम यह हुआ है की प्रकृति असंतुलन बढ़ रहा है। जो की खतरनाक स्थिति है। हमें लुप्त हो रहे जानवरों व उनकी प्रजातियों को बचाना है। इसके लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए -
(1) सरकार को चाहिए की जानवरों के शिकार पर कड़ाई से रोक लगाए। इसके लिए उन्हें युद्ध स्तर पर कोशिश करनी चाहिए क्योंकि जानवरों का शिकार करने वाले लोग बहुत शातिर होते हैं।
(2) इस विषय पर कानून कठोर होने चाहिए व तुरंत उन पर अमल होना चाहिए। अकसर ऐसा होता है कि वन सुरक्षाकर्मी अपनी जान पर खेलकर शिकारियों को पकड़ते हैं परन्तु वह लंबी कानून जिरह का लाभ उठाकर स्वयं को बचा लेते हैं।
(3) वन सुरक्षाकर्मियों को आधुनिक उपकरणों व हथियारों की सुविधा देनी चाहिए जिससे वह अपनी व जानवरों की मदद कर सकें।
(4) वन में इस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे उसकी सुरक्षा अभेद हो।
(5) जानवरों की लुप्त हो रही जातियों को बनाए रखने के लिए मेडिकल सांइस की मदद लेनी चाहिए।
(6) लोगों में इस तरफ जागरूकता लाना आवश्यक है क्योंकि इन्हीं की मांगों पर मासूम जानवरों को मारा जाता है।
(7) जानवरों की खालों व उनके शरीर के अंगों से बनी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए तभी इनके शिकार को रोका जा सकेगा।
हमने स्वयं के हितों की रक्षा के लिए जानवरों का अन्धा-धुन्ध शिकार किया है। कभी स्वयं को मौसम की मार से बचाने के लिए, कभी किसी बीमारी के इलाज स्वरूप, कभी स्वयं को सुन्दर बनाने के लिए, कभी स्वयं को संवारने के लिए, कभी स्वयं के भोजन के रूप में तो कभी अपने घर की शोभा को बढ़ाने के लिए किया है। आहार श्रृंखला से कई ऐसे जीव हैं जो अब आस्तित्व में ही नहीं रहे हैं या लुप्त होने की कगार पर हैं। इसका परिणाम यह हुआ है की प्रकृति असंतुलन बढ़ रहा है। जो की खतरनाक स्थिति है। हमें लुप्त हो रहे जानवरों व उनकी प्रजातियों को बचाना है। इसके लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिए -
(1) सरकार को चाहिए की जानवरों के शिकार पर कड़ाई से रोक लगाए। इसके लिए उन्हें युद्ध स्तर पर कोशिश करनी चाहिए क्योंकि जानवरों का शिकार करने वाले लोग बहुत शातिर होते हैं।
(2) इस विषय पर कानून कठोर होने चाहिए व तुरंत उन पर अमल होना चाहिए। अकसर ऐसा होता है कि वन सुरक्षाकर्मी अपनी जान पर खेलकर शिकारियों को पकड़ते हैं परन्तु वह लंबी कानून जिरह का लाभ उठाकर स्वयं को बचा लेते हैं।
(3) वन सुरक्षाकर्मियों को आधुनिक उपकरणों व हथियारों की सुविधा देनी चाहिए जिससे वह अपनी व जानवरों की मदद कर सकें।
(4) वन में इस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे उसकी सुरक्षा अभेद हो।
(5) जानवरों की लुप्त हो रही जातियों को बनाए रखने के लिए मेडिकल सांइस की मदद लेनी चाहिए।
(6) लोगों में इस तरफ जागरूकता लाना आवश्यक है क्योंकि इन्हीं की मांगों पर मासूम जानवरों को मारा जाता है।
(7) जानवरों की खालों व उनके शरीर के अंगों से बनी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए तभी इनके शिकार को रोका जा सकेगा।
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