Savitri ka charitra chitran adhe adhure natak
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I am not getting how to answer your question..
सावित्री:- एक कामकाजी मध्यवर्गीय शहरी स्त्री
"आधे अधूरे नाटक " में कहानी एक परिवार के इर्द गिर्द घूमती नजर आती है जिसमे सावित्री जो कि काम काजी औरत की भूमिका में नजर आती है उसका पति महेंद्रनाथ जो कि बहुत दिन से काम काज नही कर रहा और बहुत दिन से यू ही निठल्ला पड़ा रहता है बस अपनी कमाई कमाई से घर का कुछ सामान खरीद के बहुत दिन बैठा है , घर की बड़ी लड़की बिन्नी है जो शादी शुदा है जिसने मनोज के साथ भाग कर शादी कर ली थी , छोटी लड़की किन्नी है और घर का सब से आलसी पुरुष अशोक-घर का लड़का ।
महेन्द्रनाथ और सावित्री पति- पत्नी के अटूट बंधन में बंध कर भी अलग है। पूर्णता की तलाश में दौड़ रही स्त्री सावित्री अधूरे पुरुष महेन्द्रनाथ को स्वीकार नहीं कर पति है। ऐसा नहीं है की महेन्द्रनाथ सावित्री से प्यार नहीं करता पर अपनी मानसिक तंगदिली से जीने के कारण जख्मी है।
मध्यवर्गीय सुविधा भोग ने लोगो जो किस गर्हित स्थिति में डाल दिया है। सावित्री के चरित्र में देखा जा सकता है। सावित्री अपने लिए एक पूरा आदमी चाहती है। मतलब यह की इस सुविधा भोग के पीछे वह अपनी अस्मिता तक खो बैठी और अंत में उसे वही अधूरा महेन्द्रनाथ मिला और भी वह लंगडाते आते हुए टूटे व्यक्ति के रूप में।
सुविधाभोगिनी नारी का इससे भयंकर परिणाम और क्या हो सकता है।