Hindi, asked by alizaparveen22, 1 month ago

sawan par kavita in hindi ​

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Answered by krishnanand31yadav
0

Answer:

what is sexual reproduction

Answered by AnjanaUmmareddy
1

Answer:

अब के सावन ऐसा आए

झूम -झूम कर धरती गाए

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती रंग-बिरंगे परिधानों में सब के

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती रंग-बिरंगे परिधानों में सब के मन को भा जाती

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती रंग-बिरंगे परिधानों में सब के मन को भा जाती यह खिलती कलियाँ अब कभी

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती रंग-बिरंगे परिधानों में सब के मन को भा जाती यह खिलती कलियाँ अब कभी न मुरझाएँ , ख़ुशी के गीत गाएँ

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती रंग-बिरंगे परिधानों में सब के मन को भा जाती यह खिलती कलियाँ अब कभी न मुरझाएँ , ख़ुशी के गीत गाएँ घर-घर में रंग जमें अब ऐसा

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती रंग-बिरंगे परिधानों में सब के मन को भा जाती यह खिलती कलियाँ अब कभी न मुरझाएँ , ख़ुशी के गीत गाएँ घर-घर में रंग जमें अब ऐसा बेटियाँ हरदम ही मुस्कुराएँ

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती रंग-बिरंगे परिधानों में सब के मन को भा जाती यह खिलती कलियाँ अब कभी न मुरझाएँ , ख़ुशी के गीत गाएँ घर-घर में रंग जमें अब ऐसा बेटियाँ हरदम ही मुस्कुराएँ न हो डर कोई ऐसा जिससे वे सहम

झूम -झूम कर धरती गाए रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए सावन के झूले जब पड़ते खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी हिल -मिल कर रंग जमाती रंग-बिरंगे परिधानों में सब के मन को भा जाती यह खिलती कलियाँ अब कभी न मुरझाएँ , ख़ुशी के गीत गाएँ घर-घर में रंग जमें अब ऐसा बेटियाँ हरदम ही मुस्कुराएँ न हो डर कोई ऐसा जिससे वे सहम जाएँ

हम सब भरें उनके मन में विश्वास

हम सब भरें उनके मन में विश्वास ताकि बेख़ौफ़ वे आगे बढ़ती जाएँ

हम सब भरें उनके मन में विश्वास ताकि बेख़ौफ़ वे आगे बढ़ती जाएँ सावन की इस बारिश में खुद को

हम सब भरें उनके मन में विश्वास ताकि बेख़ौफ़ वे आगे बढ़ती जाएँ सावन की इस बारिश में खुद को आनंदित पाएँ

हम सब भरें उनके मन में विश्वास ताकि बेख़ौफ़ वे आगे बढ़ती जाएँ सावन की इस बारिश में खुद को आनंदित पाएँ अब के सावन ऐसा आए

हम सब भरें उनके मन में विश्वास ताकि बेख़ौफ़ वे आगे बढ़ती जाएँ सावन की इस बारिश में खुद को आनंदित पाएँ अब के सावन ऐसा आए झूम -झूम कर धरती गाए

हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।

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