Say me the dohe of vrindavan das
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1- जो जाको गुन जानहि सो तिहि आदर देत।
काकिल अंबहि लेत है काग निबोरी लेत।।
जो जिसका गुण जानता है वो उसी को आदर देगा जिस प्रकार कोयल आम खाती है और कौआ नीम की निबौरी खाता हैै
भावार्थ यह है कि गुणो की पहचान विवेकशील व्यक्ति ही कर सकता है
2. दीबो अवसर को भलों जासो सुधरे काज।
खेती सुखे बरसियों घन को कोने काम।।
दीपक अवसर का अच्छा होता है जिससे हर काम सुधर जाता है। खेती सुखने के बाद बरसने वाले बादल का कोई काम नहीं है।
भावार्थ यह है कि अवसर पर काम आने वाली वस्तु ही उपयोगी है। बिना समय की कृपा का कोई महत्व नहीं है।
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काकिल अंबहि लेत है काग निबोरी लेत।।
जो जिसका गुण जानता है वो उसी को आदर देगा जिस प्रकार कोयल आम खाती है और कौआ नीम की निबौरी खाता हैै
भावार्थ यह है कि गुणो की पहचान विवेकशील व्यक्ति ही कर सकता है
2. दीबो अवसर को भलों जासो सुधरे काज।
खेती सुखे बरसियों घन को कोने काम।।
दीपक अवसर का अच्छा होता है जिससे हर काम सुधर जाता है। खेती सुखने के बाद बरसने वाले बादल का कोई काम नहीं है।
भावार्थ यह है कि अवसर पर काम आने वाली वस्तु ही उपयोगी है। बिना समय की कृपा का कोई महत्व नहीं है।
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1- जो जाको गुन जानहि सो तिहि आदर देत।
काकिल अंबहि लेत है काग निबोरी लेत।।
जो जिसका गुण जानता है वो उसी को आदर देगा जिस प्रकार कोयल आम खाती है और कौआ नीम की निबौरी खाता हैै
भावार्थ यह है कि गुणो की पहचान विवेकशील व्यक्ति ही कर सकता है
2. दीबो अवसर को भलों जासो सुधरे काज।
खेती सुखे बरसियों घन को कोने काम।।
दीपक अवसर का अच्छा होता है जिससे हर काम सुधर जाता है। खेती सुखने के बाद बरसने वाले बादल का कोई काम नहीं है।
भावार्थ यह है कि अवसर पर काम आने वाली वस्तु ही उपयोगी है। बिना समय की कृपा का कोई महत्व नहीं है।
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