Hindi, asked by sakahi29, 4 months ago

सयहहत््कयर दरूद्रष्टय भी होतय है इसललए र्ह र्तमव यन में की ियने र्यली भूलों के पररणयम से

पयठकों को आगयह करयतय है। र्तमव यन सम् को ही ले लीजिए। पजश्चमी सांस्कृतत अनेक रूपों में भयरती्

घरों में प्रर्ेश करती िय रही है, उसकय सांकेत एक सदी पूर्व भयरतेंदुहररचन्द्द्र, महयर्ीर प्रसयद दवर्र्ेदी आहद

ने अपने लेखों में हद्य थय। सहद्ों पहले ललखे ‘भयगर्त पुरयण’ में कलल्ुग कय चचत्रण अक्षरश: सत्् के

रूप में प्रकट हो रहय है। ‘सयहहत्् समयि कय दपवण है’ ्ह उजतत बिनय ककसी वर्र्यद के पूणतव

: सत्् है।

वर्श्र् की क्रयजन्द्त्ों कय र्णवन के र्ल इततहयस से वर्हदत नहीां होतय, सयहहत्् भी उसकय प्रयमयणणक

सयक्ष्् देतय है। ्हद सयहहत्् की महत्तय न होती तो ककसी भी देश के नयगररक अपने अतीत से अपररचचत

एर्ां अनलभज्ञ रह ियते । सयहहत्् समयि की अमूल्् तनचि होतय है | आने र्यली पीहढ़्याँ जिस पर गर्व

करती हैं। सयहहत्् समयि की खबूि्ों और खयलम्ों को दशयवतय है। िि सयहहत्् और समयि के अलभन्द्न

सांिांि की ियत हो रही हैतो र्तमव यन भयरत की जस्थतत कय र्णनव करनय आर्श््क है। आि भयरत कय ्ुर्य

अपने देश के सयहहत्् से लगभग अनलभज्ञ है। घरों में भी िच्चों को अांग्रेिी सयहहत्् ही पढ़ने के ललए

प्रेररत कक्य ियतय है। पजश्चमी सांस्कृतत के अिां यनुकरण ने लोगों को अपने लशकांिे में पूरी तरह िकड़

लल्य है जिसकय सिसे िड़य दष्ुपररणयम नैततक मूल््ों के क्षीण होने के रूप में सयमने आ रहय है। आि

ऐसे सयहहत्् की रचनय की आर्श््कतय हैिो नर्ीन एर्ां पुरयतन में सांतलु न िनयने कय कय्व कर सके।
(2) नयगररक को अपने अतीत से कौन पररच् करयतय है ?

(क) सयहहत्् (ख) वर्ज्ञयन

(ग) महयन लोग (घ) आने र्यली पीहढ़्याँ

(3) आि कै से सयहहत्् की आर्श््कतय ितयई गई है ?

(क) िो मनुष्् को लशक्षक्षत कर सके (ख) िो नई और पुरयनी सांस्कृतत में मेल कर सके

(ग) िो के र्ल अतीत कय पररच् करयए (घ) समयि के दोषों कय उदघयटन करने र्यलय

(4) लोग ककसकय अनुकरण कर रहे है ?

(क) अाँग्रेिी सयहहत्् कय (ख) पजश्चमी सांस्कृतत कय

(ग) भयरती् सयहहत्् कय (घ) वर्ज्ञयन कय

(5) गद्यांश कय शीषवक हो सकतय है –

(क) सयहहत्् और सांतुलन (ख) सयहहत्् और कलय

(ग) भयरत की जस्थतत और सयहहत्् (घ) सयहहत्् समयि कय दपवण​

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