school life hindi poem for kids
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जाने हम कब बदल गए… Hindi Poem
खामोशी के पन्नो पर बचपन की याद लिख दे ,
इन अनसुनी राहों पर आज कोई फ़रियाद लिख दे .
वो कोमल सी निष्पाप हँसी , वो खिलखिलाता सा मन ,
ना जाने इन यादों में , कैसे खो गया बचपन !
पलट कर देख, वही महका समां है ,
यादों की करवटों में झूमता जहां हैं .
बचपन की डोर ने जाने कितने रिश्ते हैं बांधे ,
प्यार से , मासूम गांठें हैं बाँधीं .
आज़ाद था मन , आज़ाद थे हम ,
दुःख , पीड़ा , ईर्ष्या , द्वेष , कहाँ जाने थे हम .
दोस्तों की बातें दिल की नजदीकियां बन जाती थीं ,
आपसी तकरार जीवन की नवनिधि बन जाती थी .
क्या थे वो दिन बस यूँ ही गुज़र गए ,
गुमनाम इन राहों में , जाने हम कब बदल गए !
यादों का संचार है,
जिन पर हमें अभिमान है .
इन यादों को आज मेरा सलाम है ,
जिन यादों में डूबता ये जहां हैं.
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