School me Adhi chutti ke samay ka Chitra Varnan with answer.
Answers
Answer:
happiness on the faces of children
Explanation:
I think that it will become a great pleasure for all children.
Answer:
मध्यांतर छुट्टी का समय स्कूल अवधि के लगभग बीच में होता है । इसका उद्देश्य अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को अपने मानसिक और शारीरिक रूप से पुन: तरोताजा करने के लिए कुछ समय प्रदान करना है ।
मध्यांतर छुट्टी का समय स्कूल अवधि के लगभग बीच में होता है । इसका उद्देश्य अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को अपने मानसिक और शारीरिक रूप से पुन: तरोताजा करने के लिए कुछ समय प्रदान करना है ।कभी-कभी मध्यान्तर की छुट्टी होने से पूर्व विद्यार्थी ऊबने लगते है । वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते । वे अध्यापक की बातों को ठीक से समझ नहीं पाते । वे पढाई से उकता जाते हैं । ऐसी अवस्था में वे बड़ी बेसब्री से मध्यातर छुट्टी की प्रतीक्षा करते हैं ।
मध्यांतर छुट्टी का समय स्कूल अवधि के लगभग बीच में होता है । इसका उद्देश्य अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को अपने मानसिक और शारीरिक रूप से पुन: तरोताजा करने के लिए कुछ समय प्रदान करना है ।कभी-कभी मध्यान्तर की छुट्टी होने से पूर्व विद्यार्थी ऊबने लगते है । वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते । वे अध्यापक की बातों को ठीक से समझ नहीं पाते । वे पढाई से उकता जाते हैं । ऐसी अवस्था में वे बड़ी बेसब्री से मध्यातर छुट्टी की प्रतीक्षा करते हैं ।कुछ शरारती लड़के स्कूल के चपरासी के पास जाकर के उसे समय से पहले ही घंटी बजाने का अनुरोध करते हैं । इन सबसे लात होता है कि मध्यांतर छुट्टी की बड़ी जरूरत होती है।
मध्यांतर छुट्टी का समय स्कूल अवधि के लगभग बीच में होता है । इसका उद्देश्य अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को अपने मानसिक और शारीरिक रूप से पुन: तरोताजा करने के लिए कुछ समय प्रदान करना है ।कभी-कभी मध्यान्तर की छुट्टी होने से पूर्व विद्यार्थी ऊबने लगते है । वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते । वे अध्यापक की बातों को ठीक से समझ नहीं पाते । वे पढाई से उकता जाते हैं । ऐसी अवस्था में वे बड़ी बेसब्री से मध्यातर छुट्टी की प्रतीक्षा करते हैं ।कुछ शरारती लड़के स्कूल के चपरासी के पास जाकर के उसे समय से पहले ही घंटी बजाने का अनुरोध करते हैं । इन सबसे लात होता है कि मध्यांतर छुट्टी की बड़ी जरूरत होती है।कक्षा से निकलने के बाद विद्यार्थी अपने-अपने ढंग से आराम करते हैं । अमीर परिवार के बालक माता-पिता द्वारा भेजी गई मिठाई, फल या दूध आदि खाते-पीते हैं । सामान्य परिवारों के बालक फेरी वालों से कुछ वस्तुएं खरीद कर खाते हैं ।
मध्यांतर छुट्टी का समय स्कूल अवधि के लगभग बीच में होता है । इसका उद्देश्य अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को अपने मानसिक और शारीरिक रूप से पुन: तरोताजा करने के लिए कुछ समय प्रदान करना है ।कभी-कभी मध्यान्तर की छुट्टी होने से पूर्व विद्यार्थी ऊबने लगते है । वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते । वे अध्यापक की बातों को ठीक से समझ नहीं पाते । वे पढाई से उकता जाते हैं । ऐसी अवस्था में वे बड़ी बेसब्री से मध्यातर छुट्टी की प्रतीक्षा करते हैं ।कुछ शरारती लड़के स्कूल के चपरासी के पास जाकर के उसे समय से पहले ही घंटी बजाने का अनुरोध करते हैं । इन सबसे लात होता है कि मध्यांतर छुट्टी की बड़ी जरूरत होती है।कक्षा से निकलने के बाद विद्यार्थी अपने-अपने ढंग से आराम करते हैं । अमीर परिवार के बालक माता-पिता द्वारा भेजी गई मिठाई, फल या दूध आदि खाते-पीते हैं । सामान्य परिवारों के बालक फेरी वालों से कुछ वस्तुएं खरीद कर खाते हैं ।मध्यांतर की छुट्टी के समय अनेक फेरीवाले स्कूल के बाहर आ जाते हैं । निर्धन विद्यार्थी सामान्यतया अपने-अपने घर से खाने-पीने की चीजे ले आते हैं, जिन्हें वे कक्षा में ही बैठकर खा लेते हैं ।
अपनी भूख मिटाकर बालक छोटे-छोटे समूहो मे बट जाते हैं और आपस में अनेक प्रकार के विषयों पर बातचीत करते हैं । अकसर उनकी बातों का विषय कोई ऐसा अध्यापक होता है, जिसे वे पसन्द नहीं करते । |
अपनी भूख मिटाकर बालक छोटे-छोटे समूहो मे बट जाते हैं और आपस में अनेक प्रकार के विषयों पर बातचीत करते हैं । अकसर उनकी बातों का विषय कोई ऐसा अध्यापक होता है, जिसे वे पसन्द नहीं करते । |कभी-कभी वे अपनी कक्षा के कुख्यात या शरारती बालक के क्रियाकलापों पर बात करते हैं । निचली कक्षाओं के बालक खेल के मैदान फुटबाल या अन्य कोई खेल खेलते हैं। अधिकांशतया वे इस समय हंसते हैं और अपने आप को प्रसन्न करते हैं ।
अपनी भूख मिटाकर बालक छोटे-छोटे समूहो मे बट जाते हैं और आपस में अनेक प्रकार के विषयों पर बातचीत करते हैं । अकसर उनकी बातों का विषय कोई ऐसा अध्यापक होता है, जिसे वे पसन्द नहीं करते । |कभी-कभी वे अपनी कक्षा के कुख्यात या शरारती बालक के क्रियाकलापों पर बात करते हैं । निचली कक्षाओं के बालक खेल के मैदान फुटबाल या अन्य कोई खेल खेलते हैं। अधिकांशतया वे इस समय हंसते हैं और अपने आप को प्रसन्न करते हैं ।जैसे मध्यांतर छुट्टी के समाप्त होने की घंटी बजती है, विद्यार्थियो की हंसी गायब हो जाती है। वे पुन: गम्भीर हो जाते है । वे अपनी-अपनी कक्षओं की ओर दौड़ पडते हैं, ताकि उन्हे देर न हो जायें ।