script on the topic ' rahim ke dohe'
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हम सब ने रहीम के दोहे कक्षा 6 से लेकर कक्षा 10 तक पढ़े है और इसका महत्व भी बखूबी जाना है लेकिन समय के साथ भागने में और इस मॉडर्न जीवनशैली में हम इसे भूले जा रहे है इसलिए हम आज यहाँ प्रस्तुत कर रहे है रहीम दास के दोहे, जो बहु उपयोगी और जीवन को आसान बनाने वाले है ।
Rahime Das के Dohe चाय में शक्कर जैसे है, जैसे चाय में शक्कर थोड़ी ही होती है लेकिन मिठास बहुत ज्यादा । ठीक वैसे ही रहीम के दोहे में शब्दों की मात्रा बहुत ही कम है लेकिन इसका मर्म, महत्व और जीवन का सार अनंत है ।
रहीम दास के दोहे सार के साथ
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय ।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय ।
संकट में हर कोई प्रभु को याद करता है खुशी में कोई नहीं, अगर आप खुशी में भी याद करते तो संताप होता ही नही ।
जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं ।
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं ।
रहीम दास कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े की भव्यता कम नहीं होती, क्योंकि गिरधर को कन्हैया कहने से उनके गौरव में कमी नहीं होती ।
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Rahime Das के Dohe चाय में शक्कर जैसे है, जैसे चाय में शक्कर थोड़ी ही होती है लेकिन मिठास बहुत ज्यादा । ठीक वैसे ही रहीम के दोहे में शब्दों की मात्रा बहुत ही कम है लेकिन इसका मर्म, महत्व और जीवन का सार अनंत है ।
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दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय ।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय ।
संकट में हर कोई प्रभु को याद करता है खुशी में कोई नहीं, अगर आप खुशी में भी याद करते तो संताप होता ही नही ।
जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं ।
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं ।
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