(Section A) 1. पूस की रात कहानी का कथानक स्पष्ट कीजिए।
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इस कहानी का नायक हल्कू और उसका कुत्ता जबरा मन में बस गया। ... उस समय 'पूस की रात' कहानी में जब खेत की फसल नष्ट हो जाती है, तब उसका दुःख उतना महसूस नहीं हुआ था बल्कि इस बात से राहत महसूस हुई थी कि अब हल्कू और जबरा को पूस की ठंडी रात में बिना कम्बल के खेत में सोना नहीं पड़ेगा। तब दुनिया और थी। ज़माना और था।
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मुंशी प्रेमचंद ने “पूस की रात” कहानी करीब 100 साल पहले (1921) लिखी थी। उस दौर में कृषि और किसानों की स्थिति को जानने समझने के लिए यह एक दुर्लभ कहानी है। ... जिस तरह हल्कू नीलगाय से फसल को बचाने के लिए रात में पहरेदारी करता था, उसी तरह आज भी किसान आवारा पशुओं से खेतों को बचाने के लिए रात भर जाग रहे हैं।
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