Hindi, asked by Harshit0115, 8 months ago

self composed poems on birds​

Answers

Answered by nagakalakoppalli
2

Answer:

maa perati lo kila kila raavalu....

Answered by shweta131145
1

Answer:

A Bird

A bird came down the walk,

He did not know I saw;

He bit an angleworm in halves

And ate the fellow, raw.

And then he drank a dew

From a convenient grass,

And then hopped sidewise to the wall

To let a beetle pass.

Explanation:

if you want hindi poem

What are some Hindi poems about birds?

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I am recalling one of poems about bird I read in my primary school days, It was children poem.

चिड़ियाँ रानी चिड़िया रानी,

आओ बैठो सुनो कहानी,

मेरे आँगन में आ जाओ,

बिखरे दाने चुन-चुन खाओ,

प्यास लगे तो पी लो पानी,

सखी-सहेली तुम बन जाओ,

पास रहो तो गीत सुनाओ,

तुम तो हो जानी पहचानी,

चिड़ियाँ रानी चिड़िया रानी,

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One of the poem i liked the most By Harivansh Rai Bachhan

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,

नेह का आह्वान फिर-फिर!

वह उठी आँधी कि नभ में

छा गया सहसा अँधेरा,

धूलि धूसर बादलों ने

भूमि को इस भाँति घेरा,

रात-सा दिन हो गया, फिर

रात आ‌ई और काली,

लग रहा था अब न होगा

इस निशा का फिर सवेरा,

रात के उत्पात-भय से

भीत जन-जन, भीत कण-कण

किंतु प्राची से उषा की

मोहिनी मुस्कान फिर-फिर!

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,

नेह का आह्वान फिर-फिर!

वह चले झोंके कि काँपे

भीम कायावान भूधर,

जड़ समेत उखड़-पुखड़कर

गिर पड़े, टूटे विटप वर,

हाय, तिनकों से विनिर्मित

घोंसलो पर क्या न बीती,

डगमगा‌ए जबकि कंकड़,

ईंट, पत्थर के महल-घर;

बोल आशा के विहंगम,

किस जगह पर तू छिपा था,

जो गगन पर चढ़ उठाता

गर्व से निज तान फिर-फिर!

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,

नेह का आह्वान फिर-फिर!

क्रुद्ध नभ के वज्र दंतों

में उषा है मुसकराती,

घोर गर्जनमय गगन के

कंठ में खग पंक्ति गाती;

एक चिड़िया चोंच में तिनका

लि‌ए जो जा रही है,

वह सहज में ही पवन

उंचास को नीचा दिखाती!

नाश के दुख से कभी

दबता नहीं निर्माण का सुख

प्रलय की निस्तब्धता से

सृष्टि का नव गान फिर-फिर!

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,

नेह का आह्वान फिर-फिर!

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