Self made poem in hindi on nature plzzzzzz fast it's very urgent!!!
Anonymous:
ok wait miss
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गुलाबी सुबह से माथा चूम कर, हँसते हुए उठाती है,
गर्म दोपहर मे ऊर्जा भर के, दिन खुशहाल बनाती है,
रात की चादर में सितारे जड़ कर, मीठी नींद सुलाती है,
प्रकृति तो हमेशा ही, मेरी सुंदर माँ जैसी है.
हरे पेड़ों से साँसे देकर, जीवन हमको देती है,
मीठा नीर बहा नदियों मे, हरदम हमें पालती है,
खिला के खूबसूरत फूलों को, जीवन मे रंग भरती है.
प्रकृति तो हमेशा ही, मेरी सुंदर माँ जैसी है. I THINK IT IS ENOUGH
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ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये कान के पास से गुजरती हवाओ की सरसराहट
ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
ये समुन्दर की लहरों का शोर
ये बारिश में नाचती मोर
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये चांदनी रात
ये तारों की बरसात
ये खिले हुए सुन्दर फूल
ये उड़ते हुए धुल
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये नदियों की कलकल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
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