Selfie Sahi ya gal par easssy in Hindi
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युवा वर्ग में सबसे ज्यादा जाना-पहचाना शब्द है ‘सेल्फी’। सेल्फी यानी स्मार्ट फोन में सामने की ओर लगे कैमरे से खुद की तस्वीर खींचना। आज के दौर में युवाओं में सेल्फी का शौक बहुत अधिक बढ़ गया है। सेल्फी के बहाने सारे दोस्त एकत्रित होते हैं और चेहरे पर तरह-तरह की मुद्राएं बनाकर सेल्फी लेते हैं। सचमुच! इसमें मजा भी खूब आता हैं।
आज इंटरनेट वाले युग में सेल्फी खींचकर उसे सोशल मीडिया जैसे -फेसबुक,इंस्टाग्राम,स्नोचत इत्यादि पर प्रदर्शित करने के लिए युगाओं में दीवानगी बहुत अधिक बढ़ गई है। सेल्फी पर आने वाली टिप्पणी का उन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है,जैसे यदि किसी सेल्फी पर उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है,तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। यदि नकारात्मक टिप्पणी मिलती है,तो वह दुखी हो जाते हैं। इस सेल्फी के चक्कर में युवा वर्ग अपना काफी समय कम्प्यूटर, लैपटॉप,टैब, मोबाइल आदि के जरिए सोशल मीडिया पर बिता देते हैं। इससे उनकी आँखों और स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अतिरिक्त सेल्फी को रोमांचक बनाने हेतु युवा खतरनाक काम करने से भी पीछे नही हटते हैं। चलती गाड़ियों में लटककर,पहाड़ों की ऊंची-ऊंची चट्टानों पर खड़े होकर,नदी के बहाव के बीच खड़े होकर खतरनाक मुद्राओं में सेल्फी लेकर उसे प्रदर्शित करने में युवा गर्व महसूस करते हैं।
सेल्फी की इस बुरी लत के कारण ही अक्सर अखबारों व समाचार में ‘सेल्फी जे कारण तीन बच्चों की मौत, प्राणघातक सेल्फी,चलती ट्रेन में सेल्फी लेने के कारण मौत’ जैसी खबरें हमें देखने-सुनने तो मिलती हैं।
कहते हैं कि कोई भी शौक जब तक शौक है तब तक ठीक है,लेकिन जब यह लत बन जाती है तो घातक हो सकती है।
‘अति का भला न बोलना, अति भी भला न चुप।
अति का भला न बरसना, अति की भला न धूप।,
सेल्फी के प्रति इस बढ़ती दीवानगी व उसके खतरों को देखकर संत कबीरदास जी का यह दोहा हमें यह याद दिलाता है कि किसी भी चीज की अति न करनी चाहिए। अतः, सेल्फी का मजा लीजिए, लेकिन सावधानी भी बरतिए।